(www.arya-tv.com) लखनऊ में पॉक्सो की विशेष अदालत ने एक इंस्पेक्टर और सब-इंस्पेक्टर के खिलाफ विभागीय कार्रवाई का आदेश दिया है। इन दोनों ने एक नाबालिग रेप पीड़िता द्वारा सामूहिक दुराचार का बयान दर्ज कराने के बाद भी सिर्फ एक ही आरोपित का नाम चार्जशीट में लिखा। इस एक आरोपित पर भी इन्होंने कम दंडनीय धाराएं लगाईं।
जज ने डीजीपी को लिखा पत्र
गुरुवार को विशेष अदालत के जज महेश चन्द्र वर्मा ने इस लापरवाही को लेकर कड़ा रुख अपनाया। उन्होंने मामले के विवेचक व थाना चिनहट के तत्कालीन सब-इंस्पेक्टर प्रेम प्रकाश व तत्कालीन इंस्पेक्टर मनोज कुमार सिंह के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई का आदेश दिया। उन्होंने इस सदंर्भ में प्रदेश के डीजीपी को एक पत्र भी जारी किया है। इसमें लिखा है कि अवैधानिक कृत्यों के लिए विवेचकों के विरुद्ध कार्रवाई कर उसकी रिपोर्ट एक माह में प्रेषित की जाए। जज ने इसके साथ ही इस मामले के आरोपित वाल्टर की जमानत अर्जी भी खारिज कर दी।
नाबालिग पीड़िता के पिता ने दर्ज कराई थी एफआईआर
विशेष लोक अभियोजक अशोक श्रीवास्तव का कहना था कि इस मामले की एफआईआर थाना चिनहट में नाबालिग पीड़िता के पिता ने दर्ज कराई थी। उन्होंने जमानत अर्जी पर बहस के दौरान अदालत को इस तथ्य से अवगत कराया कि इस मामले में पीड़िता ने आरोपित व उसके साथियों के खिलाफ अपना बयान दर्ज कराया था। लेकिन मुल्जिमों को बचाने के इरादे से जानबूझकर उसका फिर से बयान दर्ज कराया गया। फिर इसी आधार पर पॉक्सो की कम दंडनीय धाराओं में सिर्फ एक ही आरोपित वाल्टर के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई।