पिता ने खोई आंखें, मां ने प्राइवेट नौकरी से चलाया घर, बेटे मिला 42 लाख का पैकेज

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(www.arya-tv.com) रब की निगाह सीधी हो तो मुश्किलें पार हो ही जाती हैं. ज़िंदगी की राह में उम्मीदों का दरवाजा बाद में बंद होता है, ऊपर वाला नई खिड़की पहले खोल देता. एकांश के साथ भी ऐसा ही हुआ. मुश्किलें आती रहीं, वे लड़ते रहे. आखिर में उन्होंने मेहनत के दम पर वो हासिल किया, जिसे आज हम सब पढ़ रहे हैं.म जानते हैं सोना आग में तपकर ही कुंदन बनता है. एकांश सक्सेना भी ज़िंदगी की मुश्किलों से जूझते हुए पढ़े और अपनी मेहनत का फल पाया. एकांश ने यूपी के गौरखपुर की मदन मोहन मालविया यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी से बीटेक किया. एकांश वहां की B.Tech आईटी के टॉपर बने. वह पीलीभीत जिले के पूरनपुर से हैं. शुरुआती पढ़ाई पास के ही स्कूलों से हुई. पढ़ाई में शुरू से अच्छे रहे. 10वीं में 10 CGPA पाया था. इसी साल 2016-17 में एकांश के लिए ज़िंदगी ने बेहद सख्त फैसला लिया. 10वीं में उनके नंबर तो अच्छे आए लेकिन पिता को ग्लूकोमा हुआ, जिसकी वजह से उनकी आंखों की रोशनी चली गई

पिता की आंखों की रौशनी जाना मतलब घर की रीढ़ टूट जाना. लेकिन इस दौर में मां ‘मां’ भी बनी रही और पिता भी बन गईं. उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. निजी स्कूल में टीचर की नौकरी करते हुए, घर का दारोमदार संभाला. वह उन दिनों जिस भी तकलीफ से गुजरीं लेकिन बेटे और पति पर कोई आंच नहीं आने दी. वक्त बीतता गया. एकांश ने 12वीं कर ली. 2019 में एमएमएमयूटी में दाखिला लिया लेकिन फीस नहीं जुटा पाए. मामा मुश्किल वक्त में परिवार की ढाल बन गए. फीस जमा की. एकांश को Siemens स्कॉलरशिप भी मिली, इससे भी आर्थिक मदद हुई. एकांश की बीटेक की तीनों सालों की फीस 4,70,000 थी.

एकांश की तीन बहनें और हैं. हिमांशी, श्रेया, वनिशा सक्सेना. एकांश की मां ने सभी बच्चों को पढ़ाने के लिए बेहद मेहनत की. उनकी तीनों बेटियां भी खूब पढ़ाया. 34 साल की हिमांशी शादीशुदा हैं, MA english, B.ed हैं, हाउस वाइफ हैं. 31 साल की श्रेया भी मैरिड हैं, m.com तक पढ़ी हैं, IIFL में काम करती हैं. 28 साल की वनिशा ने इंग्लिश में MA किया है. वह ट्यूशन टीचर हैं. एकांश बताते हैं कि उनकी कामयाबी के लिए परिवार में सभी ने योगदान दिया. बड़े जीजाजी राजेश सक्सेना, जिनका बिजली के सामान का काम है. उन्होंने फाइनेंशियली और मेंटली एकांश को सपोर्ट किया. उन्हें जब भी उन्हें इंटरव्यू या ट्रेनिंग के लिए कहीं जाना पड़ा तो वे उनके साथ गए. siemens scholarship के लिए भी वे मुंबई गए तो उनके जीजा भी उनके साथ गए