आठ एफआईआर दर्ज होने के बाद आप सांसद संजय सिंह ने वेंकैया नायडू को लिखा पत्र

Lucknow

(www.arya-tv.com) आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद और उत्तर प्रदेश के प्रभारी संजय सिंह ने राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू को पत्र लिखकर अपने संसदीय विशेषाधिकारों के हनन के मामले में लखनऊ पुलिस कमिश्नर सहित आठ जिलों के पुलिस कप्तान के खिलाफ कार्यवाही की मांग की है। सांसद ने सभापति से मांग की है प्रदेश के आठ जिलों के पुलिस अधिकारियों ने बेबुनियाद एफआईआर दर्ज करके मुझे अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने के दायित्व से रोकने का प्रयास करते हुए विशेषाधिकार का उल्लंघन किया है। उन्होंने मांग की है कि सभी पुलिस अधिकारियों को संसद के विशेषाधिकार समिति के समक्ष बुलाकर सख्त कार्रवाई की जाए।

यूपी में आठ जिलों में दर्ज हुई हैं एफआईआर

लखनऊ के अलावा हेमराज मीणा, पुलिस अधीक्षक बस्ती, अभिषेक सिंह, पुलिस अधीक्षक बागपत, अभिषेक यादव, पुलिस अधीक्षक मुजफ्फरनगर, सत्येंद्र कुमार, पुलिस अधीक्षक लखीमपुर खीरी, बृजेश सिंह, पुलिस अधीक्षक संत कबीर नगर, सुनील गुप्ता, पुलिस अधीक्षक गोरखपुर, और मुनिराज, पुलिस अधीक्षक अलीगढ़ के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है।

आप सांसद संजय सिंह ने पत्र में लिखा है कि हाल के दिनों में योगी सरकार को सिर्फ ठाकुरों के लिए काम करने वाली सरकार कहा था। जाति आधार पर आम लोगों के साथ थानों से लेकर मुख्यमंत्री सचिवालय तक भेदभाव किया जा रहा है। 8 पुलिस के जवान शहीद हुए, पत्रकार विक्रम जोशी की हत्या, संजीत यादव का अपहरण व हत्या, बृजेश पाल का अपहरण और हत्या और प्रयागराज में एक ही परिवार के चार सदस्यों की हत्या, लखीमपुर खीरी व जौनपुर में बच्चियों के साथ बलात्कार व हत्या, नोएडा की सुदीक्षा भाटी कांड व गाजियाबाद विक्रम त्यागी कांड पर पर योगी सरकार से जवाब मांगा था।

मुख्यमंत्री योगी के इशारे पर संजय सिंह के खिलाफ आठ एफआईआर दर्ज करा दी गई। सिंह ने कहा था कि उत्तर प्रदेश में सिर्फ एक जाति नही बल्कि 24 करोड़ उत्तर प्रदेश वालों की सरकार चलनी चाहिए । ब्राह्मण, यादव, वैश्य, पाल, लोध, कुर्मी, निषाद, बिंद, कश्यप, प्रजापति, विश्वकर्मा, मौर्य, जाटव, तेली, सोनकर, बाल्मीकि, जाट, गुर्जर जैसी तमाम जातियों के मन में यह बात नही आनी चाहिए कि उनके साथ अन्याय हो रहा है।

किसी भी सरकार के अन्याय और अत्याचार के खिलाफ बोलने का संवैधानिक अधिकार

‌संजय सिंह ने राज्यसभा के सभापति को लिखे गए पत्र में जिक्र किया है भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, जहां हर एक व्यक्ति को किसी भी सरकार के अन्याय और अत्याचार के खिलाफ बोलने का संवैधानिक अधिकार हासिल है। देश के सर्वोच्च सदन का राज्यसभा सांसद हूं इस सदन के सदस्यों का प्राथमिक कर्तव्य राज्यों के मुद्दे उठाना और उनके निराकरण का प्रयास करना है।

मेरे द्वारा बोले गए सच का गला घोटने के लिए उपरोक्त पुलिस अधिकारियों की मिलीभगत से विभिन्न जिलों में मेरे खिलाफ एफआईआर दर्ज करा कर एक नागरिक के तौर पर मेरे संवैधानिक अधिकारों और एक संसद सदस्य के रूप में मेरे विशेषाधिकार का हनन किया गया है।

पत्र में कहा है कि यह सिर्फ मेरा नहीं बल्कि देश के उच्च सदन का भी अपमान है हमारे देश का संविधान प्रतिष्ठा और अवसर की समानता, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय और व्यक्ति की गरिमा सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने की गारंटी देता है और इसे सुनिश्चित करने का हर संभव प्रयास करना इस सदन और इसके हर सदस्य का सर्वोच्च दायित्व है।