(www.arya-tv.com) सरंगा अरणय’ यानी हिरण का वन। कहा जाता है कि कालान्तर में ‘सरंगा अरण्य’ रहने के कारण ही सारण का नामाकरण हुआ था। वर्तमान में घना वन क्षेत्र या हिरण का बसेरा तो सारण के इलाके में नहीं है, लेकिन, नारायणी की बाढ़ में नेपाल के चितवन व पश्चिमी चंपारण के जंगलों से बह कर एक यहां बड़ी संख्या में हिरण आ रहे हैं। पिछले दो दिनों में गोपालगंज में 42 हिरणों को बरामद किया गया है।
सारण के मशरक में भी बाढ़ के पानी में बह कर आए आठ हिरण मिले हैं। वन विभाग बाढ़ के पानी से हिरणों को निकालने व बचाने में जुटा है। हिरण को बरामद करने के बाद उसे उदयपुर (पश्चिम चंपारण) के जंगल में छोड़ा जा रहा है। इसके लिए रेस्क्यू वैन के साथ वन विभाग की एक टीम को लगाया गया है। गोपालगंज के बाढ़ग्रस्त के गांवों से पिछले 24 घंटे के भीतर ही 20 हिरणों को पानी से बाहर निकाला गया है।
तेज रफ्तार से भागने से डूब रहे हिरण वन विभाग के विशेषज्ञों के अनुसार हिरण स्वाभाव से चंचल जीव है। किसी तरह का खतरा महसूस होने पर ये बहुत तेज रफ्तार से भागते हैं। इस वजह से हिरण बाढ़ के पानी की चपेट में आकर बह जा रहे हैं।
जीवट प्रकृति से संकट से करते हैं मुकाबला
हिरण तो वैसे डरपोक प्रवृति के होते हैं। लेकिन, संकट आने के बाद ये डट कर मुकाबला भी करते हैं। इसी वजह से सैकड़ों किलोमीटर बाढ़ में बहने व उपलाने के बाद हिरण को जिंदा बरामद किया जा रहा है। वन विभाग बरामद हिरणों का इलाज करने के बाद उसे वापस जंगल में छोड़ रहा है।
नेपाल व पश्चिमी चंपारण से बड़ी संख्या में हिरण बाढ़ के पानी में बह कर गोपालगंज व सटे सीवान के इलाके में पहुंच रहे हैं। वन विभाग की टीम स्पेशल गाड़ी से रेस्क्यू कर वापस बेतिया के जंगल में छोड़ने में जुटी है।