(www.arya-tv.com) बिहार में स्वास्थ्य सेवाओं में अब ड्रोन जैसी अत्याधुनिक टेक्नोलाजी का सहारा लिया जाने लगा है. इसी क्रम में सुदूर व दुर्गम क्षेत्रों में संचालित अस्पतालों में भी इलाज की गुणवत्ता सुधारने की स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की पहल का सफल परीक्षण किया गया. फुलवारी शरीफ स्थित पटना एम्स परिसर से निदेशक सह सीईओ डॉ. जीके पाल, डीडीए नीलोत्पल बल, ड्रोन कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. संजय पांडे और निदेशक ओएसडी डॉ. अनिल कुमार की उपस्थिति में पौने दो किलो वजन की दवाइयां लोड कर ड्रोन को रवाना किया गया.
08 मिनट में तय की 12 किमी की दूरी
एम्स पटना ने सोमवार को ड्रोन से जीवनरक्षक दवाइयां पीएचसी में भेजने में सफलता हासिल की है. एम्स से नौबतपुर पीएचसी के लिए भेजे गए ड्रोन ने 12 किमी की दूरी मात्र 8 मिनट में तय की. इसके माध्यम से संर्पदंश में दी जाने वाली एंटी स्नेक वेनम इंजेक्शन और हार्ट अटैक होने पर दी जाने वाली थ्रम्बोलिटिक एजेंट जैसी जीवनरक्षक दवाइयों को नौबतपुर पीएचसी भेजा गया.नौबतपुर पीएचसी में ड्रॉन दीदी शिवांगी ने ड्रोन से भेजी गई दवा को रिसीव किया. बताते चलें कि ड्रोन का यह तीसरा एवं दवाओं के साथ पहला सफल परीक्षण था. 30 दिसंबर व 20 जनवरी को किए गए पहले दो परीक्षण खराब मौसम के कारण एम्स परिसर तक ही सीमित रह गया था.
फरवरी में होगी ड्रोन सेवा की विधिवत लॉन्चिंग
AIIMS पटना के कार्यकारी निदेशक डॉ. जीके पाल ने कहा कि अब ड्रोन से दवा भेजने की विधिवत लॉन्चिंग फरवरी के तीसरे सप्ताह में होगी. बता दें कि 200 से 250 किमी तक ड्रोन से दवा भेजा का लक्ष्य है, जिसमें 45 मिनट से लेकर एक घंटा तक लगेगा. ड्रोन में 05 किलो तक जीवनरक्षक दवाइयां ले जाने की क्षमता है. वहीं, एयरपोर्ट के सात किमी के दायरे में होने के कारण पटना एयरपोर्ट अथॉरिटी से मंजूरी ली गई थी. यह केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के ड्रोन प्रोजेक्ट का हिस्सा है.