प्रयागराज संगम तट पौष पूर्णिमा पर श्रद्धालु लगा रहे आस्था की डुबकी

Prayagraj Zone

प्रयागराज (www.arya-tv.com) तीर्थराज प्रयाग का संगम तट गुरुवार को पौष पूर्णिमा पर आस्था के जन प्रवाह का साक्षी बना। इसके साथ ही गृहस्थों का अखंड तप कल्पवास गुरुवार की भोर से ही पौष पूर्णिमा के स्नान के साथ आरंभ हो गया। जन्म जन्मांतर के पापों से मुक्ति, पूर्वजों की तृप्ति व मोक्ष की प्राप्ति की संकल्पना साकार करने के लिए संगम तीरे माहभर अर्थात माघी पूर्णिमा (27 फरवरी) तक कल्पवास चलेगा। समस्त आराध्य व पितरों को नमन करके रेती में धूनी रमाकर गृहस्थ तपस्वी की भांति जप-तप, अनुष्ठान व त्याग करेंगे।

कल्पवासी घर-गृहस्थी का मोह छोड़कर प्रयागराज में संगम तट पर आए हैं। कोरोना संक्रमण का भय, भीषण ठंड भी उनकी आस्था नहीं डिगा पाई। बड़ी संख्‍या में श्रद्धालु संगम के पवित्र जल में डुबकी लगा रहे हैं। श्रद्धालुओं की भीड़ लगातार संगम की ओर चली आ रही है। संगम व अन्य घाटों पर श्रद्धालु पुण्य की डुबकी लगा रहे हैं। पूर्णिमा तिथि 27 जनवरी की रात 12: 32 बजे लगकर 28 जनवरी की रात 12:32 बजे तक रहेगी। दिनभर गुरुपष्य नक्षत्र और सर्वार्थ अमृत सिद्धि योग रहेगा। मकर राशि में सूर्य, गुरु, शुक्र व शनि का संचरण होगा। धर्म सिंधु और निर्णय सिंधु के अनुसार एक राशि में चार ग्रहों का संचरण शुभ व सौभाग्यदायक है। इस पुण्य बेला में संकल्प लेकर अनुष्ठान आरंभ करने वालों की समस्त कामनाएं पूर्ण होंगी। कल्पवास शुरू करने वाले साधकों को मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी। पितर भी तृप्त होंगे।

झूठ न बोलना, 2-सदैव सत्य बोलना, 3-घर-गृहस्थी की चिंता से मुक्त रहना, 4-गंगा में सुबह, दोपहर व शाम को स्नान करना, 5-शिविर के बाहर तुलसी का पौधा लगाना व जौ बोना, 6-तुलसी व जौ को प्रतिदिन जल अॢपत करके आरती करना, 7-ब्रह्मचर्य का पालन करना, 8-खुद या पत्नी का बनाया सात्विक भोजन करना,  9-सत्संग में भाग लेना, 10-इंद्रियों में संयम रखना, 11-पितरों का पिंडदान करना, 12-हिंसा से दूर रहना, 13-विलासिता से दूर रहना, 14-परनिंदा न करना, 15-जमीन पर सोना, 16-भोर में जगना, 17-किसी भी परिस्थिति में मेला क्षेत्र न छोडऩा, 18-धाॢमक ग्रंथों व पुस्तकों का पाठ करना, 19-आपस में धाॢमक चर्चा करना, 20-प्रतिदिन संतों को भोजन कराकर दक्षिणा देना, 21-गृहस्थ आश्रम में लौटने के बाद भी कल्पवास के नियम का पालन करेंगे।