नसीरूद्दीन:साधारण चेहरा होने पर भी एक्टिंग के दम पर बनाया अपना मुकाम

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(www.arya-tv.com)एक्टिंग के लिए 3 नेशनल अवॉर्ड, 3 फिल्मफेयर अवॉर्ड, पद्मश्री और पद्मभूषण से सम्मानित नसीरुद्दीन। आज बेहतरीन एक्टर नसीरुद्दीन शाह अपना 72वां जन्मदिन मना रहे हैं। नसीरुद्दीन ने अपनी एक्टिंग के दम पर इंडस्ट्री में एक अलग मुकाम बनाया है। नसीर एक नवाब फैमिली से आते हैं। ऐसे में पिता के खिलाफ जाकर उन्होंने फिल्मी दुनिया में कदम रखा था। उन्होंने अपनी जिंदगी के 60 साल बॉलीवुड के नाम किए हैं और इस दौरान 100 से ज्यादा फिल्में बॉलीवुड को दी हैं। उन्होंने करियर में हिंदी, इंग्लिश, बंगाली, गुजराती, कन्नड़, मलयालम, मराठी जैसी अलग-अलग भाषाओं में फिल्में बनाई हैं। नसीर कुछ अलग विचार रखते हैं ऐसे में अक्सर उनका नाम कई विवादों से जुड़ता रहा है। तो चलिए इस बेहतरीन एक्टर के 72 सालों के कुछ दिलचस्प किस्से जानते हैं।

भारत-पाक बंटवारे के समय नवाब फैमिली में हुआ जन्म

नसीरुद्दीन शाह का जन्म 20 जुलाई 1950 को बाराबंकी में एक नवाब फैमिली में हुआ था। एक इंटरव्यू में शाह ने कहा था कि बंटवारे में उनके पिता के बड़े भाई पाकिस्तान चले गए और उनके पिता ने भारत को ही चुना। बाराबंकी में उनके पिता तहसीलदार थे। बंटवारे का उनकी फैमिली पर भी असर पड़ा। स्कूल में नसीरुद्दीन पढ़ाई में काफी कमजोर थे। वो कहते हैं बचपन में कभी उन्होंने पढ़ाई में दिल लगाने की कोशिश ही नहीं की। 8वीं क्लास के रिजल्ट में उनकी 50वीं पोजिशन आई थी। दरअसल नसीर की क्लास में 50 ही बच्चे थे और उनकी पोजीशन आखिरी थी। इस समय उनका अधिकतर ध्यान क्रिकेट की तरफ ही होता था वो उस समय होने वाले टेस्ट मैच का स्कोर भी नोट करके रखते थे।

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से सीखी एक्टिंग

स्कूली पढ़ाई के बाद नसीरुद्दीन का झुकाव एक्टिंग की ओर बढ़ने लगा था। ऐसे में स्कूल की पढ़ाई पूरी होने के बाद उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया। नसीर एक्टिंग में अच्छे थे ऐसे में उन्होंने अपनी इस स्किल को और बेहतर करने के लिए दिल्ली में नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में एडमिशन ले लिया। यहां से निकला हर कलाकार विशेष माना जाता है। तो नसीरुद्दीन कैसे नहीं माने जाते। उनकी एक्टिंग को काफी सराहा जाता था लेकिन उनके चेहरा किसी हीरो की तरह नहीं था जिसके चलते वो जहां ऑडिशन देने जाते वहां से ही उन्हें ये कहकर निकाल दिया जाता कि आपको किस रोल में रखें।

फिल्म निशांत से हुई करियर की शुरुआत

1975 में नसीरुद्दीन की मुलाकात जाने-माने निर्माता-निर्देशक श्याम बेनेगल से हुई। श्याम बेनेगल उन दिनों अपनी फिल्म निशांत बनाने की तैयारी में थे। श्याम ने नसीरुद्दीन शाह में एक उभरता हुआ सितारा दिखाई दिया। उन्होंने फिल्म निशांत के लिए नसीर को चुन लिया। 1975 में आई इस फिल्म में नसीरुद्दीन विश्वम के रोल में थे। फिल्म तो कुछ खास कमाल नहीं कर पाई लेकिन उनकी एक्टिंग को सभी ने पहचान लिया।

जब फिल्म के लिए किसानों ने दिए 2-2 रुपए

1976 नसीरुद्दीन शाह के एक्टिंग करियर में अहम पड़ाव साबित हुआ। इस साल उनकी भूमिका और मंथन जैसी सफल फिल्म आईं। दुग्ध क्रांति पर बनी फिल्म मंथन में उनके अभिनय के नए रंग देखने को मिले। इस फिल्म के निर्माण के लिए गुजरात के लगभग 5 लाख किसानों ने अपनी प्रतिदिन की मिलने वाली मजदूरी में से 2-2 रुपए फिल्म निर्माताओं को दिए और बाद में जब ये फिल्म रिलीज हुई तो बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट साबित हुई। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

थिएटर ग्रुप की स्थापना की

1977 में अपने मित्र बैंजमिन गिलानी और टॉम आल्टर के साथ मिलकर नसीरुद्दीन शाह ने मोंटेले प्रोडक्शन नामक एक थियेटर ग्रुप की स्थापना की, जिसके बैनर तले सैमुयल बैकेट के निर्देशन में पहला नाटक वेटिंग फार गोडो पृथ्वी थियेटर में दर्शकों के बीच दिखाया गया।

स्पर्श में दिखी बेहतरीन एक्टिंग

1979 में प्रदर्शित फिल्म स्पर्श में नसीरुद्दीन के अभिनय का नया आयाम दर्शकों को देखने को मिला। इस फिल्म में अंधे व्यक्ति की भूमिका निभाना किसी भी अभिनेता के लिए बहुत बड़ी चुनौती थी। चेहरे के भाव से दर्शकों को सब कुछ बता देना उनकी अभिनय प्रतिभा का ऐसा उदाहरण था, जिसे शायद ही कोई एक्टर दोहरा पाए। इस फिल्म में उनके लाजवाब अभिनय के लिए उन्हें बेस्ट एक्टर का नेशनल अवॉर्ड दिया गया था। इसके अलावा 1980 में आई फिल्म आक्रोश में भी नसीरुद्दीन की बेहतरीन एक्टिंग नजर आई।