(www.arya-tv.com) तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान प्रदर्शन कर रहे हैं। दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर किसान बीते 3 हफ्ते से आंदोलन कर रहेें हैं और तीनों कृषि कानूनों के वापस लिए जाने की मांग कर रहे हैं। वर्तमान
के कृषि आंदोलन को एक विशेष राज्य और एक विशेष समूह तक सीमित बताया जा रहा है।
यह बात सही भी है क्योंकि वर्तमान कृषि आंदोलन पंजाब और हरियाणा के किसानों के बीच अधिक दिख रहा है। इसका एक ठोस कारण यह भी है कि इन तीनों कृषि कानूनों का सबसे अधिक प्रभाव पंजाब और हरियाणा में ही रहने वाला है।
पंजाब और हरियाणा में देश की सबसे अधिक कृषि मंडियां हैं और वहां के किसान मंडियों के जरिये एमएसपी के लाभ को जानते हैं। बाकी देश के अन्य हिस्से जिनमें प्रमुख रूप से उत्तर प्रदेश और बिहार के किसानों को कृषि की मूलभूत जरूरतों और कृषि मंडियों से दूर रखा गया।
ऐसा इसलिए क्योंकि हमेशा से इस आर्थिक सोच को प्रभावी बनाना था कि कृषि एक लाभ का क्षेत्र नहीं है और कभी भी किसानों को एक बड़ी ‘बारगेनिंग पावर’ नहीं बनने देना था। आज यह सफल होता भी दिख रहा है। लेकिन, तीनों नए कृषि कानून सिर्फ किसानों के नजरिए से विरोध का कारण नहीं हैं बल्कि यह सामान्य जन के लिए भी निकट भविष्य में चुनौती का कारण बन सकते हैं।
आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल म्यूचुअल फंड ने लॉन्च की नई स्कीम, जानिए खास बातें पहला कानून जिसका नाम ‘कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, 2020’ है, यह कानून निकट भविष्य में सरकारी कृषि मंडियों की प्रासंगिकता को शून्य कर देगा।
सरकार निजी क्षेत्र को बिना किसी पंजीकरण और बिना किसी जवाबदेही के कृषि उपज के क्रय-विक्रय की खुली छूट दे रही है. इस कानून की आड़ में सरकार निकट भविष्य में खुद बहुत अधिक अनाज न खरीदने की योजना पर काम कर रही है।
सरकार चाहती है कि अधिक से अधिक कृषि उपज की खरीदारी निजी क्षेत्र करें ताकि वह अपने भंडारण और वितरण की जवाबदेही से बच सके. सोचिए कि अगर निकट भविष्य में कभी कोरोना जैसी विषम परिस्थिति का सामना करना पड़ा तो उस दौरान सरकार खुद लोगों को बुनियादी खाद्य सामग्री उपलब्ध कराने के लिए निजी क्षेत्र से खरीदारी करेगी. वहीं, आज वह इसे अपने बड़े एफसीआई गोदामों से लोगों को मुफ्त में उपलब्ध करा रही है।
साथ ही सरकारी कृषि मंडियों के समानांतर आसान शर्तों पर खड़ा किया जाने वाला नया बाजार इनकी प्रासंगिकता को खत्म कर देगा और जैसे ही सरकारी मंडियों की प्रासंगिकता खत्म होगी, ठीक उसी के साथ एमएसपी का सिद्धांत भी प्रभावहीन हो जाएगा क्योंकि मंडियां एमएसपी को सुनिश्चित करती हैं।
दूसरा कानून ‘कृषि (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत अश्वासन और कृषि सेवा करार विधेयक, 2020’ है, जिसकी अधिक चर्चा कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के विवाद में समाधान के मौजूदा प्रावधानों के संदर्भ में की जा रही है।