(www.arya-tv.com) पहलवान, एक्टर, डायरेक्टर और राजनेता रहे दारा सिंह की आज 11वीं पुण्यतिथि है। ये भारत के पहले इंटरनेशनल रेसलर थे, जिनके नाम कई बड़े रिकॉर्ड हैं। 6’2 कद और 127 किलो के दारा सिंह ने अखाड़े के 500 मुकाबलों में कभी शिकस्त नहीं देखी, भले ही उनके सामने 200 किलो वजन वाला मशहूर रेसलर किंग कॉन्ग ही क्यों न हो, जिसे उठाकर उन्होंने रिंग से बाहर फेंक दिया था। इस कारनामे से दारा सिंह दुनियाभर में फेमस हुए और नाम मिला रुस्तम-ए-हिंद। अखाड़े में जितना खूंखार और ताकतवर दिखते थे, उतना ही कोमल और मस्तमौला था इनका असल किरदार।
शुरुआत में तो एक्ट्रेसेस उनके साथ काम करने से भी डरती थीं, लेकिन जब यही दारा सिंह हनुमान बने तो लोगों ने उनकी पूजा तक की। सेट पर दो आदमी इन्होंने सिर्फ काजू-बादाम खिलाने के लिए हायर किए हुए थे। 2 लीटर दूध और आधा किलो मटन भी इनकी डाइट का हिस्सा था। हालांकि, सालों पहले अपने हुनर से अनजान दारा सिंह मामूली फैक्ट्री के मजदूर हुआ करते थे।दारा सिंह का जन्म 19 नवंबर 1928 को पंजाब के धरमूचक गांव के सिख परिवार में हुआ। उन्हें जन्म के समय दीदार सिंह रंधावा नाम दिया गया था। बचपन से ही शरीर दूसरे बच्चों से ज्यादा ताकतवर और मजबूत था, तो जाहिर है कि उनकी डाइट भी दूसरे बच्चों से कहीं ज्यादा थी।
14 साल में की शादी, 17 साल में बने पिता
गांव के चलन के मुताबिक दारा सिंह की भी दूसरे बच्चों की तरह महज 14 साल की उम्र में 1942 में घरवालों ने बच्चू कौर से शादी करवा दी। शादी के तीन साल बाद दारा सिंह 17 साल की उम्र में ही पिता बन गए।
अब परिवार बढ़ रहा था, तो कमाई का कोई जरिया भी ढूंढना था।
टीनएज में दारा सिंह का कद 6’2 था और वजन 127 किलो, कोई इस पर्सनैलिटी से आकर्षित क्यों न होता। एक दिन उनकी फिजीक से इम्प्रेस होकर सिंगापुर में ड्रम बनाने वाली एक फैक्ट्री ने उनको काम पर रख लिया। ड्रम की फैक्ट्री में काम करते हुए उनकी मुलाकात रेसलर हरनाम सिंह से हुई, वो भी दारा को देख उनकी ताकत भांप गए। रेसलर हरनाम सिंह की सलाह पर दारा ने उन्हीं से ट्रेनिंग लेकर रेसलिंग शुरू कर दी। ट्रेनिंग पूरी होने के बाद उन्होंने वर्ल्ड चैंपियन बिल वरना, फिरपो, जॉन डिसिल्वा, रिकीडोजन, स्काई हाई ली जैसे पहलवानों के साथ रेसलिंग की
2 लीटर दूध, आधा किलो मटन, घी, और 100 बादाम थे डाइट का हिस्सा
अपनी मजबूत बॉडी को फिट रखने के लिए दारा सिंह रोजाना 2 लीटर दूध पी जाया करते थे। इसके अलावा उनकी डेली डाइट में आधा किलो मटन, घी, 8-10 रोटियां, 100 बादाम, काजू-किशमिश के साथ 10 चांदी की परत खाया करते थे।
हफ्ते में एक दिन भूखा रहकर करते थे गुजारा
दारा सिंह की डाइट भले ही तगड़ी थी, लेकिन वो रोजाना सुबह नाश्ता नहीं करते थे। दिन का खाना और रात का खाना ही उनकी डाइट थी। वहीं मेटाबॉलिज्म दुरुस्त करने के लिए वो हफ्ते में एक दिन व्रत भी रखते थे।
शरीर देखकर मिलने लगा फिल्मों में काम
विदेश में कुश्ती कर रहे दारा सिंह का भारत में नाम हो रहा था। यही कारण था कि उन्हें हिंदी फिल्मों में काम करने के ऑफर मिलने लगे। उन्होंने 1952 में दिलीप कुमार की फिल्म संगदिल से फिल्मों में जगह बनाई, हालांकि इस फिल्म में उन्हें एक स्टंट एक्टर का काम दिया गया था।