(www.arya-tv.com)महामारी की चिंताओं और लॉकडाउन की बंदिशों के बीच आप टीवी पर प्रकृति के सबसे निर्मम और विषम रूप से चुनौती लेते हुए मशहूर एडवेंचरिस्ट बेयर ग्रिल्स को देख रोमांचित जरूर होते होंगे। हालांकि आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि आउटडोर सर्वाइवल की मिसाल बन चुके बेयर ग्रिल्स भी एडवेंचर से पहले बीमारियों से खुद की रक्षा के लिए वैक्सीन जरूर लगवाते हैं। 23 मई से नेशनल जियोग्राफिक चैनल पर शुरू हो रहे अपने नए प्रोग्राम ‘संडे थ्रिल्स विद ग्रिल्स’ के सिलसिले में बेयर ग्रिल्स ने टीके की महत्ता समझाई। प्रस्तुत हैं चुनिंदा अंश-
सवाल: क्या आपको कभी किसी तरह का संक्रमण हुआ है?
हां, मुझे पिछले कुछ वर्षों में जंगलों में कई संक्रमण हुए हैं, मधुमक्खी के डंक के कारण एनाफिलेक्टिक शॉक से लेकर सांप के काटने से संक्रमित हो चुका है। आपको जंगल में काफी सचेत रहना होता है और जब स्थितियां विपरीत हो रही हों तो अपनी रक्षा करने के लिए हर संभव प्रयास करें। कभी-कभी यह एक जंग की तरह होता है।
सवाल: क्या आपने संक्रमण को रोकने के लिए खुद को टीका लगवाया है, क्योंकि आपको तो हमेशा खतरनाक वातावरण में संक्रमणों को आमंत्रण देने की आदत है?
हां, मुझे अक्सर दुनिया के जंगली हिस्सों में जाने से पहले टाइफाइड या हेपेटाइटिस जैसी चीजों के खिलाफ टीके लगवाने पड़ते हैं। यह काम का हिस्सा है। खुद को सुरक्षित रखें फिर साहसिक कार्य करें।
सवाल: जीवन का सबसे रोमांचक और खतरनाक क्षण कौन सा है?
एवरेस्ट के शिखर पर चढ़ना निश्चित रूप से मेरे जीवन का एक बहुत बड़ा क्षण था। चोटी से तिब्बत में सूर्योदय देखने की छवि दिमाग में अमिट है। लेकिन इसमें जोखिम था, चढ़ाई में 4 पर्वतारोहियों की जान चली गई। अभियान ने मुझे कई तरह से बदल दिया। उस नुकसान को झेलना बेहद कठिन था लेकिन घटना में मुझे भी जीवनदान मिला जिसके लिए मैं कृतज्ञ हूं।
सवाल: नेशनल जियोग्राफिक चैनल पर आपका नया कार्यक्रम आ रहा है, इसमें हम क्या देखेंगे, यह कितना अलग होगा?
दुनिया के सबसे भयानक व डरावने और सबसे खूबसूरत जंगलों में से कुछेक स्थानों पर जाएंगे। आप देखेंगे कि मैं आम लोगों और मशहूर हस्तियों को यह अनुभव करा रहा हूं कि बीहड़ वातावरण हमें किस तरह बदल देते हैं। बीहड़ हमें मजबूत व ज्यादा संकल्पित होने की प्रेरणा देते हैं।
सवाल: आप पहले भी मशहूर हस्तियों को एडवेंचर पर ले गए हैं, कठोर स्थिति के मामले में आप उन्हें कैसा पाते हैं?
मेरा मानना है कि कि हम सभी अंगूर की तरह हैं केवल जब हमें निचोड़ा जाता है तभी हम जान पाते हैं कि हम वास्तव में किस मिट्टी से बने हैं। जंगल किसी के साथ भेदभाव नहीं करता-आप बूढ़े हों या जवान, मशहूर हों या नहीं, लंबे हों या छोटे।