(www.arya-tv.com) कोरोना की दूसरी लहर ने हर क्षेत्र को बुरी तरह प्रभावित किया, जिसमें ऑटोमोबाइल भी शामिल है। पिछले साल कोरोना की पहली लहर के बाद वाहनों की बिक्री में जो रिकवरी आई थी, वह इस साल मई में पूरी तरह से धुल गई। सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (SIAM) के अनुसार मार्च 2021 में भारत में कोरोना की दूसरी लहर के आने तक पैसेंजर कारों की बिक्री 1.57 लाख पर थी। लेकिन इसके बाद के महीनों में भारी कमी होती चली गई और कारों की बिक्री का आंकड़ा 41,536 के निचले स्तर पर आ गया। यानी कि इसमें 73.54 फीसदी तक की गिरावट आ गई।
पहली लहर में अनलॉक के बाद आई थी तेजी
SIAM के मई 2020 से मई 2021 तक के आंकड़ों के अनुसार कोरोना की पहली लहर के बाद कारों की बिक्री में जबर्दस्त तेजी आई थी। देश में लगे लॉकडाउन के समय यानी कि मई 2020 में 14,460 कारों की बिक्री हुई थी। वहीं, अनलॉक होने के बाद जब मार्केट खुला तो अक्टूबर 2020 तक कारों की सेल का आंकड़ा 1.83 लाख पर पहुंच गया था। इसके बाद फेस्टिव सीजन से लेकर मार्च 2021 तक हर महीने 1.50-1.55 लाख कारों की अच्छी बिक्री हुई।
सभी बड़ी कंपनियों की सेल थमी
फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (FADA) के डेटा के मुताबिक, मार्च-अप्रैल और मई के दौरान मारुति सुजुकी, हुंडई, टाटा मोटर्स, महिंद्रा एंड महिंद्रा और किआ मोटर्स जैसी शीर्ष कंपनियों की बिक्री बुरी तरह प्रभावित हुई है। मार्केट लीडर कही जाने वाली मारुति सुजुकी की कारों की बिक्री में भी इस दौरान 72 फीसदी की गिरावट आई। वहीं, टाटा मोटर्स की बिक्री में 62 फीसदी, न्यू जनरेशन कार किया की सेल भी 66% नीचे आ गई। इसके अलावा हुंडई में 65% और महिंद्रा की बिक्री में भी 64 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गई।
दूसरी लहर ने कारों की डिमांड पर गहरा असर डाला
सियाम के डायरेक्टर जनरल राजेश मेनन बताते हैं कि भारत में कोरोना की दूसरी लहर के आने के बाद एक के बाद कई राज्यों में लॉकडाउन लगता चला गया। इसके अलावा कई राज्यों में अलग-अलग तरह के प्रतिबंध लगा दिए गए थे। इससे कारों की सेल के साथ उत्पादन पर भी असर हुआ। लॉकडाउन के चलते कई राज्यों में डीलरशिप बंद थी और आर्थिक परेशानियों के चलते डिमांड भी एकदम घट गई। इन्हीं कई कारणों के चलते मार्च से अप्रैल के बीच बिक्री में 10% और अप्रैल से मई के दरमियान 70.58% तक की गिरावट आ गई।