लखनऊ। (राहुल तिवारी) करोना महामारी से जूझ रहे लोग किसी न किसी तरह से अपने आप को उबारने का प्रयास कर रहे हैं और ऐसे लोग उनको भी याद कर रहे हैं जो उनके क्षेत्र से चुनाव तो लड़े थे पर समस्या के समय वे दूर दूर तक नजर नही आ रहे हैं।
पूरे देश में कोरोनावायरस जैसी भंयकर महामारी का कहर है और बड़ी तादाद में लोग देश से लेकर विदेश तक काल के गाल में समा चुके हैं और काफी इस बीमारी से जूझ रहे हैं जिनका उपचार चल रहा है। देश व्यापी लॉकडाउन के चलते केंद्र सरकार व राज्य सरकारें लगातार अपने स्तर से गरीबों मजदूरों और किसानों को हर प्रकार से राहत भी पहुंचाने का काम कर रही है।
सत्ता पक्ष व तमाम समाज सेवी व्यपारी गरीबों को भोजन सामग्री, भोजन वितरण करने का काम कर रहे हैं।अगर बात करें प्रदेश की राजधानी लखनऊ की तो यहां पर अब काफी संख्या में कोराना संक्रमित मरीज मिले हैं हालाकि इसका असर चिन्हित किये गये 13 हॉटस्पाटों तक ही है पर एहतियात के तौर पूरे शहर में स्वास्थ्य विभाग व जिला प्रशासन की पैनी नजर है। अब लोगों को उन प्रत्याशियों की भी याद आ रही है जो उनके विधानसभा क्षेत्रों से चुनाव लड़े थे और सुबह शाम दरवाजे पर वोट मांगने के लिए आते थे।
सूत्रों के मुताबिक इस महाभयंकर महामारी में सरोजिनी नगर 2017 में विधानसभा चुनाव व 2019 में लोकसभा का चुनाव लड़ें गैर दलों के प्रत्याशी मानों कही लापता हो गए हैं। लग्जरी गाड़ियों में चलने वाले ये नेता शायद धूप में निकलना मानों मुनासिब नहीं समझते। क्या इनका यह फर्ज नहीं बनता कि गरीबों झोपड़ पट्टी में जाकर उनका हाल जानने का प्रयास किया जाये। यहां के लोगों का कहना है कि ये नेता सिर्फ सीजन के समय ही निकलते हैं बाकी लोगों के सुख दुख से इनका कोई लेनादेना नही है।
अब सवाल ये उठता है कि ये क्यों लापता हैं, क्या ये हार गए इस विधानसभा से यहां की जनता ने इनको वोट नहीं दिया था। कोरोना जैसी महामारी के बीच ये लोग पुनः दुबारा अपने क्षेत्र की जनता से मिलने तक नहीं पहुंचे। जबकि यह बात चाहे २०१७ के विधानसभा की हो या फिर २०१९ के लोकसभा चुनाव की। अगर बात करें मोहनलालगंज से प्रत्याशियो की तो कुछ जनप्रतिनिधियों व समाजसेवियों को छोड़ अन्य दलों के प्रत्याशी केवल जनता का वोट लेने के लिए ही निकलते हैं बाकी के दिनों में इनसे मिलना भी मुनासिब नही समझते।