मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट किया है कि आवास आवंटन में अब जाति नहीं, जरूरत ही पात्रता का आधार होगी। इसी थीम पर मुख्यमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) अब केवल आवास उपलब्ध कराने की योजना नहीं, बल्कि सामाजिक परिवर्तन की रीढ़ बनती जा रही है। वनटांगिया से बंजारा तक पहली बार पक्के घर, कच्ची झोपड़ियों से सम्मानजनक जीवन की ओर कदम बढ़ा रहे हैं।
योगी सरकार की रुटीन मॉनिटरिंग के दौरान यह तय किया गया कि सबसे पहले उन्हें आवास दिया जाए, जो संकट में हैं। इसी क्रम में दैवीय आपदा पीड़ितों को 93,300, दिव्यांगजनों को 91,062, मुसहर समुदाय को 50 हजार से अधिक और निराश्रित विधवा महिलाओं को 41 हजार से अधिक पक्के मकान उपलब्ध कराए गए। यह आंकड़े बताते हैं कि सरकार की प्राथमिकता सूची में सबसे कमजोर वर्ग सबसे ऊपर है। तय की गई प्राथमिकताओं के तहत पहली बार योजनाओं के केंद्र में अति पिछड़ा, आदिवासी और सबसे वंचित समाज आया है। योगी सरकार ने फरवरी 2018 में शुरू हुई इस योजना के तहत अब तक 3.72 लाख पक्के मकान आदिवासियों, दैवीय आपदा पीड़ितों, दिव्यांगजनों और अन्य अत्यंत जरूरतमंद वर्गों को आवंटित किए जा चुके हैं। इससे ग्रामीण अंचलों में कच्ची झोपड़ियों की जगह पक्के घर लेते जा रहे हैं और हजारों परिवारों को सम्मानजनक जीवन मिला है।
मुख्यधारा से जुड़ रहा सबसे पिछड़ा समाज
वनटांगिया, मुसहर, थारू, कोल, सहरिया, चेरो, बैगा, नट और बंजारा जैसे समुदाय, जो दशकों तक सरकारी योजनाओं से दूर रहे, उन्हें अब पहली बार बड़े पैमाने पर अपना घर मिला है। शासन का मानना है कि पक्का आवास केवल छत नहीं, बल्कि सम्मान, सुरक्षा और सामाजिक जुड़ाव का आधार है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विजन के अनुरूप मुख्यमंत्री आवास योजना–ग्रामीण अब ग्रामीण उत्तर प्रदेश में समावेशी विकास की स्थायी पहचान बन रही है।
