(www.arya-tv.com) लखनऊ. उत्तर प्रदेश में 13 नवम्बर को होने वाले उपचुनाव को साल 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल के तौर पर देखा जा रहा है. लिहाजा इस जंग को जीतने के लिए सभी पार्टियों ने पूरी ताकत झोंक दी है. चुनाव के पहले बीजेपी और समाजवादी पार्टी के बीच पोस्टर वॉर अब चरम पर पहुंच गया है. सिर्फ लखनऊ ही नहीं अब पोस्टर वॉर की चिंगारी पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी तक पहुंच गई है.
सत्ताधीश, मठाधीश, बंटोगे, कटोगे, यूपी की सियासी डिक्शनरी के ये वो शब्द है, जो आजकल हर किसी की जुबान पर छाए हुए हैं. या यूं कह लें कि सूबे की सियासत ही इन्हीं शब्दों के इर्द गिर्द घूम रही है. लखनऊ की सरहद पार कर अब इन शब्दों की गूंज यूपी के दूसरे शहरों में सुनाई दे रही है. राजधानी के बाद अब काशी में भी पोस्टर वॉर छिड़ गया है.
अब एक पोस्टर वाराणसी के लंका क्षेत्र में लगाया गया है. पोस्टर के जरिए हिंदुओं को गोलबंद करने की कोशिश की गई है. पोस्टर में लिखे शब्दों पर गौर करिए. अगर हिंदू जाति में बंटते हैं, तो उनका भी हश्र बांग्लादेश के हिंदुओं जैसा होगा. मतलब साफ है, योगी आदित्यनाथ ने उपचुनाव के पहले हिंदुत्व की जो लकीर खींची, अब उसपर समाज का एक बड़ा तबका चलने के लिए तैयार है. इस पोस्टर को लगाने वाला शख्स खुद को BHU का छात्र नेता बता रहा है और भारतीय जनता पार्टी का कार्यकर्ता.
अखिलेश मायावती भी खोज रहे काट
राजनीतिक जानकार बता रहे हैं, जैसे-जैसे उपचुनाव की तारीखें नजदीक आएंगी, पोस्टर वॉर और जुबानी जंग और तेज होगी. बीजेपी जहां हिंदुत्व के सहारे अपनी चुनावी नैया पार लगाना चाहती है तो दूसरी ओर अखिलेश यादव इस वॉर की काट खोजने में लगे हैं. उनकी कोशिश है कि मुख्यमंत्री के इस नारे की धार को किसी भी तरीके से कुंड किया जा सके. यही वजह है कि लगातार सपा दफ्तर के बाहर नए-नए पोस्टर लगाए जा रहे हैं. इतना ही नहीं पार्टी के सांसद, विधायक और प्रवक्ता भी लगातार इस नारे को को लेकर बयानबाजी कर रहे हैं. इतना ही नहीं अब तो मायावती भी इस नारे के खिलाफ नया नारा लेकर आ गई हैं. उन्होंने कहा कि बसपा से जुड़ेंगे तो आगे भी बढ़ेंगे और सुरक्षित भी रहेंगे.
चारों तरफ बस इसी नारे के चर्चे
दरअसल, कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री योगी के इस नारे का असर जमीन पर देखने को मिल रहा है. क्योंकि इन दिनों सोशल मीडिया से लेकर टीवी डिबेट में भी बस इसी नारे की चर्चा है. कहा जा रहा है कि अखिलेश यादव के पीडीए की काट इसी नारे में हैं. साथ ही लोकसभा चुनाव में सपा और कांग्रेस ने जो जाति जनगणना, आरक्षण और संविधान का मुद्दा उठाया था, उपचुनाव में इस नारे के कारगर साबित होने से नुकसान हो सकता है. हालांकि, समाजवादी पार्टी की तरफ से पीडीए को मजबूत और एकजुट रखने की कोशिश की जा रही है. सपा प्रवक्ता फकरुल हसन चांद ने वाराणसी में लगे पोस्टर पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जिस पार्टी का चाल चरित्र जैसा होता है, उसी राह पर उसके कार्यकर्ता भी होते हैं. बीजेपी ने नारा दिया बंटोगे तो कटोगे. अब उनके कार्यकर्ता भी इसी राह पर है.