(www.arya-tv.com) कोरोना संक्रमितों की पहचान के लिए बड़े पैमाने पर स्वैब टेस्ट का सहारा लिया जा रहा है। हालांकि, शुरुआती दौर में वायरस इस जांच की पकड़ में नहीं आता। ऐसे में चीन के नेशनल सुपरकंप्यूटिंग सेंटर के वैज्ञानिकों ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक (एआई) पर आधारित एक ऐसा उपकरण ईजाद किया है, जो संदिग्धों के फेफड़ों के सीटी स्कैन की पड़ताल में मदद कर सार्स-कोव-2 वायरस की मौजूदगी से पर्दा उठाने में सक्षम है।
86 फीसदी सटीक नतीजे दिए-
-निर्माण दल से जुड़ी वरिष्ठ संक्रामक रोग विशेषज्ञ ली लानजुआन ने बताया कि एआई उपकरण वैज्ञानिक आजमाइश में खरा उतरा है। झेजियांग में पांच सौ से अधिक चीनियों के फेफड़ों के सीटी स्कैन के विश्लेषण के दौरान उपकरण 87 फीसदी सटकीता के साथ यह बताने में सफल रहा कि व्यक्ति कोविड-19 से संक्रमित है या फिर उसे वायरल निमोनिया या फ्लू हुआ है। उपकरण स्वस्थ लोगों की रिपोर्ट संक्रमितों से अलग करने की क्षमता से भी लैस है।
फेफड़ों में पहले पनपता वायरस-
-लानजुआन ने नए एआई उपकरण को कोरोना के खिलाफ जंग में अहम हथियार करार दिया। उन्होंने बताया कि संक्रमण के शुरुआती दौर में कई मरीजों के फेफड़ों में वायरस की मौजूदगी के निशान तो होते हैं, लेकिन नाक और गले के रास्ते की जाने वाली स्वैब जांच की रिपोर्ट नेगेटिव आती है। इससे उन्हें न तो संदिग्ध, न ही संक्रमित घोषित किया जाता है। नतीजतन वे पृथक नहीं होते और आसपास मौजूद लोगों से घुलने-मिलने के कारण उनमें वायरस का प्रसार कर बैठते हैं।
स्मार्ट एल्गॉरिद्म भी खोलेगा संक्रमण की पोल-
-यूरोप के कुछ वैज्ञानिक एआई पर आधारित ऐसे स्मार्ट एल्गॉरिद्म के निर्माण की कोशिशों में जुटे हैं, जो एंटीबॉडी जांच, फेफड़ों के सीटी स्कैन, स्वैब टेस्ट और संक्रमितों के चिकित्सकीय इतिहास से जुड़े आंकड़ों के विश्लेषण के जरिये सार्स-कोव-2 वायरस की मौजूदगी को लेकर कहीं ज्यादा सटीक रिपोर्ट देने में सक्षम होगा। यूरोपीय आयोग इस परियोजना के लिए वित्तीय मदद मुहैया करा रहा है।