(www.arya-tv.com) किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के मानसिक रोग चिकित्सा विभाग की ओपीडी में मानसिक रोगी बच्चों की संख्या लगातार बढ़ रही है। बढ़ते स्क्रीन टाइम का असर बच्चों के मस्तिष्क के साथ उनके जीवन के दूसरे पहलुओं पर भी पड़ रहा है। मानसिक रोग चिकित्सा विभाग के एडिशनल प्रोफेसर पवन गुप्ता बताते हैं कि आनलाइन गेम ही नहीं, बल्कि कई कार्टून शो या कामिक्स भी बच्चों के मानसिक विकास को बुरी तरह प्रभावित करते हैं।
प्रो. पवन बताते हैं कि समय से अधिक स्क्रीन टाइम बच्चों के लिए घातक सिद्ध हो रहा है। हमारी रोजाना की ओपीडी में ऐसे पांच से छह नए मामले देखे जा रहे हैं। ज्यादातर परिवार एकल हो रहे हैं। माता-पिता द्वारा समय कम दिया जाता है, लेकिन बच्चे अपने शिक्षकों और हम उम्र बच्चों के साथ अधिक रहते हैं। इसके लिए जरूरी कदम उनके स्कूलों में जागरूकता पाठ्यक्रम शामिल होना हो सकता है। इससे बच्चों के मानसिक स्तर को काफी हद तक बेहतर किया जा सकता है।
केस दो- 15 वर्षीय किशोर आनलाइन गेमिंग के वर्ल्ड प्रीमियर लीग का हिस्सा बन गया। सात से 15 घंटे तक गेम खेलने लगा। इसका पढ़ाई पर भी असर पड़ा। घरवाले बहाने से उसे केजीएमयू मानसिक रोग चिकित्सा विभाग की ओपीडी में लेकर आए। चिकित्सकों की काउंसिलिंग और कुछ दवाओं के असर से बच्चे की मानसिक स्थिति में सुधार आया। लगभग दो महीने में उसकी खेलने के समय को लगभग पांच घंटे तक लाया गया।