12वीं के एग्जाम, परीक्षा देने के इच्छुक स्टूडेंट्स हालात सामान्य होने पर हो सकेंगे शामिल

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(www.arya-tv.com) CBSE बोर्ड की 12वीं की परीक्षा पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में इस साल परीक्षा आयोजित नहीं करने का फैसला लिया गया है। मीटिंग में प्रधानमंत्री ने कहा कि अभी स्टूडेंट्स की सुरक्षा हमारे लिए ज्यादा जरूरी है। ऐसे माहौल में उन्हें परीक्षा का तनाव देना ठीक नहीं है। हम उनकी जान खतरे में नहीं डाल सकते।

परीक्षा देने के इच्छुक स्टूडेंट्स को मिलेगा मौका

पिछले साल की तरह, अगर कुछ स्टूडेंट्स परीक्षा देना चाहते हैं, तो हालात सामान्य होने पर उन्हें सीबीएसई द्वारा ऐसा विकल्प दिया जाएगा। CBSE कक्षा 12वीं की परीक्षा के लिए इस साल करीब 14.5 लाख स्टू़डेंट्स ने रजिस्ट्रेशन कराया था। थोड़ी देर में होने वाली प्रेस कॉन्फ्रेंस में फैसले के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाएगी।

बच्चों की सुरक्षा ही प्राथमिकताः पीएम

इस मीटिंग में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, प्रकाश जावड़ेकर, पीयूष गोयल, धर्मेन्द्र प्रधान, निर्मला सीतारमण और शिक्षा मंत्रालय के कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। परीक्षा रद्द करने के फैसले पर पीएम मोदी ने कहा कि स्टूडेंट्स का स्वास्थ्य और सुरक्षा बेहद जरूरी है। उस पहलू पर कोई समझौता नहीं होगा। स्टूडेंट्स, पेरेंट्स और टीचर के बीच चिंता खत्म होनी चाहिए। ऐसी तनावपूर्ण स्थिति में परीक्षा में शामिल होने के लिए बच्चों को मजबूर नहीं करना चाहिए।

23 मई को हुई थी मीटिंग

इससे पहले परीक्षा को लेकर 23 मई को हुई एक हाईलेवल मीटिंग के बाद सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से दो दिन के अंदर सुझाव मांगे गए थे। वहीं, मीटिंग के बाद केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने जानकारी दी कि 12वीं की परीक्षा पर एक जून को फैसला लिया जाएगा। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई इस मीटिंग निशंक के अलावा राज्यों के शिक्षा मंत्रियों और शिक्षा मंत्रालय से जुड़े अन्य अधिकारियों ने भी भाग लिया था।

राज्यों ने परीक्षा पर केंद्र को दिए थे सुझाव

कोरोना के कारण स्थगित हुई 12वीं की परीक्षा को लेकर राज्यों ने अपने सुझाव केंद्र को भेज थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक परीक्षा पर सहमति जताने वाले 32 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से 29 ने बैठक में प्रस्तावित बी-विकल्प पर अपनी सहमति जाहिर की थी। वहीं, राजस्थान, त्रिपुरा और तेलंगाना ने विकल्प- ए यानी मौजूदा फॉर्मेट में ही परीक्षा आयोजित करने पर सहमति जताई थी।

एग्जाम को लेकर CBSE ने दिए थे 2 विकल्प

  • पहला: सिर्फ मेजर सब्जेक्ट की परीक्षा निर्धारित सेंटर्स पर कराई जा सकती है। इन परीक्षाओं के नंबर्स को आधार बनाकर माइनर सब्जेक्ट में भी नंबर दिए जा सकते हैं। इस विकल्प के तहत परीक्षा करवाने के लिए प्री-एग्जाम के लिए 1 महीना, एग्जाम और रिजल्ट डिक्लेयर करने के लिए 2 महीने और कंपार्टमेंट एग्जाम के लिए 45 दिनों का समय चाहिए होगा। यानी इस विकल्प को तब ही अपनाया जा सकता है, जब CBSE बोर्ड के पास 3 महीने की विंडो हो।
  • दूसरा: इस विकल्प में सभी सब्जेक्ट्स के एग्जाम के लिए डेढ़ घंटे (90 मिनट) का समय निर्धारित करने का सुझाव दिया गया है। इसके साथ ही पेपर में सिर्फ ऑब्जेक्टिव या शॉर्ट क्वेश्चन ही पूछने की सलाह दी है। इस तरह 45 दिन में ही एग्जाम कराए जा सकते हैं। इसमें कहा गया है कि 12वीं के बच्चों के मेजर सब्जेक्ट की परीक्षा उनके ही स्कूल में ले ली जाए। साथ ही, एग्जामिनेशन सेंटर्स की संख्या बढ़ाकर दोगुनी कर दी जाए।

FICCI ने की थी परीक्षा रद्द करने की मांग

फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (FICCI) ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री को पत्र लिख12वीं बोर्ड परीक्षा रद्द करने की मांग की थी। केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ को लिखे पत्र में, FICCI ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण मौजूदा हालात में कक्षा 12वीं की ऑफलाइन परीक्षा आयोजित करना सही नहीं है। फेडरेशन के अध्यक्ष उदय शंकर ने कहा कि एकेडमिक प्रोग्रेस को तय करने के लिए एक वैकल्पिक समाधान तैयार किया जाना चाहिए।

प्रियंका गांधी ने शिक्षा मंत्री को लिखा पत्र
कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने भी CBSE12वीं बोर्ड परीक्षा को लेकर केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ को सोमवार को खत लिखा था। उन्होंने स्टूडेंट्स, पेरेंट्स और टीचर्स से 12वीं की परीक्षाओं के संबंध में प्राप्त सुझावों को शिक्षा मंत्री के साथ साझा किया। उन्होंने था कि बच्चे हमारे देश का भविष्य हैं। इसलिए इन परिस्थितियों में 12वीं बोर्ड की परीक्षाओं के आयोजन के मानवीय, मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक लागत को समझना उचित है।

परीक्षा को लेकर सुनवाई 3 जून को

इधर, CBSE और ICSE की 12वीं की परीक्षा रद्द करने की मांग वाली याचिका पर सोमवार को हुई सुनवाई को सुप्रीम कोर्ट में 3 जून तक के लिए स्थगित कर दिया है। दरअसल, सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार और CBSE की तरफ से मामले को पेश कर रहे एडवोकेट जनरल (एजी) ने कहा कि केंद्र को अपने अंतिम फैसला लेने के लिए दो दिन का और समय चाहिए।

इस पर बेंच ने कहा कि सरकार अपना फैसला लेने के लिए स्वतंत्र है, हालांकि, याचिकाकर्ता ने आशा की है कि बोर्ड के पिछले साल की नीति के मुताबिक ही कोई फैसला करेगा।