CBI ने एलडीसी भर्ती घोटाले में तीन कर्मचारियों से की पूछताछ; बाबू ने लेनदेन के ऑडियो सुनाया

UP

(www.arya-tv.com)रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत गुणवत्ता आश्वासन महानिदेशालय (DGQA) कानपुर में 2018 में हुई छह बाबुओं की भर्ती में धांधली की जांच CBI कर रही है। मंगलवार को लखनऊ CBI क्राइम ब्रांच के अधिकारियों ने तीन कर्मचारियों अवर श्रेणी लिपिक अश्वनी राज, कार्यालय अधीक्षक सिराजुद्दीन और तत्कालीन प्रशासनिक अधिकारी ओपी शुक्ला से कड़ी पूछताछ की। इस दौरान अश्वनी राज ने घोटाले के साक्ष्य के तौर पर कुछ कॉल रिकॉर्डिंग सुनाए। जिसमें मुख्य आरोपी की बेटी लेनदेन की जानकारी दे रही है। CBI ने सुबूत के तौर पर अश्वनी राज का फोन और लैपटॉप कब्जे में ले लिया है।

मुख्य आरोपी की बेटी से हुई बातचीत की रिकॉर्डिंग CBI ने कब्जे में लिया

गुणवत्ता आश्वासन महानिदेशालय (DGQA) रक्षा मंत्रालय में रक्षा उत्पादन विभाग के तहत कार्यरत एक अंतर सेवा संगठन है। सूत्रों के अनुसार अश्विनी राज ने भर्ती घोटाले में हुई रुपयों के अवैध लेनदेन से संबंधित कई राज सीबीआई जांच अधिकारी के सामने खोले हैं। अश्वनी ने सीबीआई को भर्ती घोटाले के मुख्य आरोपी डॉ संतोष कुमार तिवारी की बेटी से हुई बातचीत की कॉल रिकॉर्डिंग दी। जिसमें वह भारतीयों के लिए हुई लेनदेन की जानकारी दे रही है। अश्वनी से हुई पूछताछ में और भी कई अहम सुराग मिले हैं। CBI ने साक्ष्य के तौर पर अश्वनी का मोबाइल और लैपटॉप कब्जे में ले लिया है।

कार्यालय अधीक्षक सिराजुद्दीन का भी बयान सीबीआई ने दर्ज किया। सिराजुद्दीन की बेटी जेबा फिरदौस ने ही भर्ती प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए परीक्षा से पहले ही ईमेल के जरिए यह खुलासा कर दिया था कि किन अभ्यर्थियों का चयन होना है। जेबा खुद भी भर्ती के लिए प्रयासरत थी और उसे साठगांठ की जानकारी मिल चुकी थी। तत्कालीन प्रशासन अधिकारी ओपी शुक्ला का भी बयान इस कड़ी में दर्ज किया गया। इनके बयान से मिली जानकारियों के बाद अब इस कड़ी से जुड़े कई अफसरों से पूछताछ हो सकती है।

2018 में CBI ने अपने हाथ में लिया था केस

DGQA में बाबुओं के छह पदों की भर्ती के लिए वर्ष 2016-17 में आवेदन प्रक्रिया शुरू हुई। 2018 में इसके लिए परीक्षा करवाई गई जिसमें विभागीय कर्मचारी संगठन के नेताओं और अधिकारियों ने अपने रिश्तेदारों और करीबियों की भर्ती रिश्वत लेकर कर ली थी। इसकी जानकारी होने पर परीक्षा में शामिल तमाम अभ्यर्थियों ने इसके खिलाफ केस दर्ज करवाया। मामला रक्षा मंत्रालय से जुड़ा होने की वजह से अगस्त 2018 में ही केस CBI ने अपने हाथ में ले लिया था।