कानपुर में HIV पॉजिटिव को कार्डियोलॉजी से भगाया:जूनियर डॉक्टरों ने कहा- पहले HIV का इलाज कराओ

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(www.arya-tv.com) कानपुर के कार्डियोलॉजी हॉस्पिटल में मरीज की रिपोर्ट जैसे ही HIV पॉजिटिव आई तो डॉक्टर ने डिस्चार्ज कर दिया। तीमारदारों का आरोप है कि जूनियर डॉक्टरों ने सीनियर से मिलने तक नहीं दिया। उन्होंने कहा कि पहले HIV का इलाज कराओ। इसके बाद उन्हें लेकर आना। वहीं, घर पर मरीज की हालत अब दिन पर दिन बिगड़ती जा रही है। तीमारदार, कार्डियोलॉजी के डॉक्टरों के चक्कर काट काटकर परेशान हो चुका हैं। अपने मरीज की जान बचाने के लिए तिमारदार डॉक्टरों से विनती कर रहे हैं।

मरीज की नस है ब्लॉक
बर्रा सी ब्लॉक निवासी 62 वर्षीय बुजुर्ग कि सीने के पास एक नस ब्लॉक है। इसके चलते उनके पैरों में खून का दौड़ान नहीं हो पा रहा है। अब उनका पैर पंजे की तरफ से सड़ना शुरू हो गया है। तीमारदारों ने बताया कि 11 जून को उन्होंने कानपुर मेडिकल कॉलेज में दिखाया था, जहां से डॉक्टरों ने कार्डियोलॉजी के लिए रेफर कर दिया। 12 जून को कार्डियोलॉजी में दिखाया और एंजियोग्राफी कराई। इसके बाद पता चला कि नस ब्लॉक है। इसी कारण से पैर में यह समस्या आ रही है।

14 जून को HIV रिपोर्ट आई पॉजिटिव
तीमारदारों ने बताया कि डॉ. राकेश वर्मा के अंडर में पिता को भर्ती कराया गया था। जिसके बाद डॉक्टर ने ऑपरेशन करने को कहा था। ऑपरेशन के लिए 15000 रुपए जमा करने थे। इससे पहले HIV की रिपोर्ट आ गई, जिसमें रिपोर्ट पॉजिटिव थी। इसके बाद डॉक्टरों ने ऑपरेशन करने से मना कर दिया, फिर उन्होंने दूसरी लैब से जांच कराई, जिसकी रिपोर्ट 16 जून को आई। उस रिपोर्ट में भी HIV पॉजिटिव होने पर 17 जून को जूनियर डॉक्टरों ने पिता को डिस्चार्ज कर दिया।

नहीं मिलने दिया सीनियर डॉक्टर से
तीमारदारों ने जब सीनियर डॉ. राकेश वर्मा से बात करने को कहा तो जूनियर डॉक्टरों ने मिलने से मना कर दिया। तीमारदार इधर से उधर भटकते रहे मगर हॉस्पिटल प्रशासन ने उनकी एक मदद नहीं कि। इसके बाद बेटा अपने पिता को लेकर वापस घर आ गया। अब मरीज के पैर की समस्या और भी ज्यादा विकट हो गई है।

HIV का शुरू हो गया इलाज पर कार्डियोलॉजी के डॉक्टर नहीं सुन रहे
घरवालों ने बताया कि HIV का इलाज शुरू हो गया है लेकिन पैर की समस्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। अब पंजे से ऊपर मर्ज उभरता आ रहा है, लेकिन कार्डियोलॉजी के डॉक्टर इस बात को सुनने को तैयार नहीं हो रहे हैं। उनका कहना है कि पहले इसका पूरा इलाज करा लो तब आना। ऐसे में यदि मरीज को कुछ हो जाता है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? जबकि HIV का इलाज काफी लंबे समय तक चलता है। यह बात घर वालों के लिए चिंता का विषय बनी हुई है।

डिस्चार्ज पेपर में भी लिख दिया मरीज को स्वास्थ्य
परिजनों ने बताया कि जूनियर डॉक्टरों ने डिस्चार्ज पेपर में मरीज को डिसएबल बताते हुए कानपुर मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर कर दिया। जबकि कार्डियोलॉजी में पिता का कोई इलाज ही नहीं हुआ। 3 से 4 दिन हम लोग सिर्फ जांच कराने में ही भाग दौड़ करते रहे।