(www.arya-tv.com)लखनऊ शहर के करीब 400 बुजुर्गों की अस्थियां लाकर में कैद हैं। लाक डाउन की वजह से इनका विसर्जन नहीं हो पा रहा है। भैंसाकुंड श्मशान घाट में बने लार्कस में लोग इन्हें 25 मार्च से रख रहे हैं। लाक डाउन खत्म होने पर ही इनका विसर्जन हो पाएगा। लाक डाउन की वजह से 24 मार्च से राजधानी में जिनका निधन हुआ है उनकी अस्थियां गंगा में विलीन नहीं हो पा रही हैं। पहले लोग अंतिम संस्कार के दूसरे-तीसरे दिन ही अपने परिजनों की अस्थियां गंगा में विसर्जित कर देते थे। इससे ज्यादा समय तक अस्थियां लाकर में नहीं रहती थी। लेकिन लाक डाउन के बाद से अस्थियां विसर्जित नहीं हो पा रहीं हैं। भैंसा कुंड श्मशान घाट पर कुल 44 लाकर बने हैं। जिसमें अस्थियां रखी जाती हैं। पूर्व में कभी भी ऐसा समय नहीं आया जब लाकर फुल हो गए हों। पहले एक लॉकर में केवल एक व्यक्ति की अस्थियां रखी जाती थी। लेकिन अब एक एक लॉकर में 5 से 10 लोगों की अस्थियां रखी गई हैं। लोग इन पर अपने प्रियजनों के नाम की पर्ची चिपका रहे हैं। यहां दाह संस्कार कराने वाले कौशल पांडेय कहते हैं लाकर में अब जगह नहीं बची है। सब भर गए हैं। जैसे तैसे पोटली बनाकर एक एक लाकर में कई कई अस्थियां रखी गई हैं।
गोमती में विसर्जन करने को मजबूर हो रहे लोग
अस्थियों को सुरक्षित रखने की जगह की कमी की वजह से अब लोग इन्हें गोमती नदी में विसर्जित करने पर मजबूर हो रहे हैं। हालांकि कुछ लोग अभी भी गोमती में विसर्जित करने से बच रहे हैं। वह लाकर में ही रखवाने की जिद करते हैं। यहां दाह संस्कार करने वाले कौशल पांडेय कहते हैं की अस्थियां घर में नहीं रखी जाती है। इसीलिए लोग श्मशान घाट पर ही रखवाते हैं। क्योंकि अब लाकर फुल हो गया है।