Budget 2020: रोजगार और निवेश है बड़ी चुनौती, सरकार कैसे देगी अर्थव्यवस्था को मात

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सरकार को किसानों की आय बढ़ाने पर ध्यान देना होगा और मनरेगा में 45 दिन के काम को बढ़ाकर कम से कम 100 दिन सुनिश्चित करना होगा। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था में उछाल आएगा। मनरेगा का बजट मौजूदा 70 हजार करोड़ से बढ़ाकर सवा लाख करोड़ करना होगा।

शरद गुप्ता
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जब शनिवार को उम्मीदों से भरे आम बजट का पिटारा खोलेंगी, तो उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती निवेश, रोजगार और खपत में इजाफा करने की होगी। इसी मूल मंत्र के जरिये सरकार भारतीय अर्थव्यवस्था को 50 खरब डॉलर के लक्ष्य तक पहुंचाने और मौजूदा सुस्ती को दूर करने का रास्ता बना सकेगी।

नेशनल सैंपल सर्वे ऑर्गेनाइजेशन (एनएसएसओ) के ताजा आंकड़ों और नवंबर 2019 के उपभोक्ता भरोसा सर्वेक्षण के मुताबिक देश में उपभोक्ता सामग्री की मांग में जबरदस्त गिरावट आई है। पिछले पूरे साल के दौरान कारों की बिक्री घटी है, लोग न तो मकान और न ही इलेक्ट्रॉनिक सामान खरीद पा रहे हैं। इसका मुख्य कारण जनता की आय में उम्मीद के मुताबिक बढ़ोतरी ना होना और बेरोजगारी की बढ़ती दर है। अर्थव्यवस्था पर दुनियाभर में छाई मंदी का असर तो है ही लेकिन घरेलू उद्योगों में जारी सुस्ती भी इसका प्रमुख कारण है। सरकार ने सितंबर 2019 में कॉरपोरेट टैक्स की दरों में कटौती कर उद्योगों को संजीवनी देने का प्रयास किया था, जिससे राजस्व को करीब 1.5 लाख करोड़ रुपये की चपत भी लगी। बावजूद इसके घरेलू उद्योगों में उम्मीद के मुताबिक उछाल नहीं आया और न ही विनिर्माण, कर संग्रह या रोजगार के मोर्चे पर राहत दिखी।
बनाना होगा तीन साल का रोडमैप
जेएलएल इंडिया के मुख्य अर्थशास्त्री सामंतक दास कहते हैं कि उपभोक्ता वस्तुओं की मांग में कमी मुख्य समस्या है। इसका मुकाबला करने के लिए सरकार को करों में छूट देनी होगी और वित्तीय घाटा बढ़ने का खतरा उठाते हुए भी सरकारी खर्च में इजाफा करना होगा। इसी कदम से खपत को बढ़ाया जा सकता है जिससे बाजार में पैसा आएगा। सरकार को इस बजट के जरिये कम से कम 3 साल का रोडमैप बनाना होगा। मौजूदा समय आर्थिक जोखिमों से भरा हुआ है। पिछले कुछ साल में असंगठित क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हुआ और इसे राहत पहुंचाने से ही अर्थव्यवस्था जोर पकड़ेगी।
आयकर छूट की उम्मीद नहीं, उपहार और समृद्धि कर से बढ़ा सकते हैं राजस्व
आर्थिक सुस्ती को देखते हुए इस बार बजट में आयकर दरों में कटौती की उम्मीद नहीं है। लेकिन कुछ ऐसे उपाय जरूर किए जा सकते हैं जिनसे प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) बढ़े और रोजगार सृजन को बढ़ावा मिल सके। लोगों की आय बढ़ेगी तो वे बाजार में खर्च भी करेंगे, जिससे उपभोक्ता वस्तुओं की मांग और उत्पादन बढ़ेगा। इसके अलावा सरकार को अपनी आय बढ़ाने के दूसरे तरीके भी अपनाने होंगे। इसमें उपहार कर (गिफ्ट टैक्स) और समृद्धि कर (वेल्थ टैक्स) शामिल है। महज एक फीसदी समृद्धि कर लगाने से ही सरकार को तीन लाख करोड़ रुपये मिल सकते हैं। साथ ही उसे विनिवेश और सरकारी भूमि को बेचने से भी अच्छी-खासी आय हो सकती है।