(www.arya-tv.com) ब्राजील के पूर्व राष्ट्रपति जेयर बोल्सोनारो के चुनाव लड़ने पर 7 साल यानी 2030 तक के लिए प्रतिबंध लगा दिया गया है। अल जजीरा के मुताबिक, 68 साल के बोल्सोनारो पर अपने पद और मीडिया का दुरुपयोग करने का आरोप लगा था। इसी मामले में सुनवाई करते हुए ब्राजील की सबसे बड़ी इलेक्टोरल कोर्ट में 7 जजों की बेंच ने 5-2 के बहुमत से ये फैसला सुनाया।
बोल्सोनारो पर पिछले चुनाव में हार के बाद पावर का गलत इस्तेमाल करते हुए देश की इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग सिस्टम पर शक पैदा करने का आरोप लगा था। फैसले के बाद एक रेडियो स्टेशन को दिए इंटरव्यू में बोल्सोनारो ने कहा- ‘ये पीठ पर छुरा घोंपने जैसा है। मैं इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करूंगा। मैं अभी जिंदा हूं और ये लड़ाई लड़ता रहूंगा।’
बोल्सोनारो ने जुलाई 2022 में की थी फॉरेन ऐंबैस्डर्स के साथ मीटिंग
CNN के मुताबिक, इस मामले की शुरुआत पिछले साल 18 जुलाई में हुई थी, जब बोल्सोनारो ने 8 फॉरेन ऐंबैस्डर्स के साथ एक मीटिंग की थी। इसमें उन्होंने ब्राजील की चुनाव प्रणाली पर सवाल उठाते हुए धांधली के आरोप लगाए थे। इस बैठक को टेलीविजन चैनलों और यूट्यूब पर लाइवस्ट्रीम किया गया था। हालांकि, बाद में यूट्यूब ने फेक न्यूज पॉलिसी के तहत लाइव लिंक को हटा दिया था।
सुनवाई से पहले लीड जस्टिस बेनेडिटो गोन्काल्व्स ने कहा था- बोल्सोनारो ने विदेशी ऐंबैस्डर के साथ हुई मीटिंग का इस्तेमाल साजिश के तहत संदेह पैदा करने के लिए किया। उन्होंने लोगों के मन में ये शक पैदा करने की कोशिश की कि 2022 के चुनावी नतीजों में धांधली होगी। लोकतंत्र के लिए इस तरह की साजिश खतरनाक है।
चुनाव में मामूली अंतर से हार गए थे बोल्सोनारो
बोल्सोनारो पिछले साल हुए चुनाव में वर्तमान राष्ट्रपति लूला डा सिल्वा से मामूली अंतर से हार गए थे। डा सिल्वा ने 1 जनवरी 2023 को राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी। इसके एक हफ्ते बाद बोल्सोनारो के हजारों समर्थक पुलिस बैरिकेड्स तोड़कर संसद, सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति भवन में घुस गए थे और तोड़फोड़ की थी। इसके बाद पुलिस ने हंगामा करने वाले 400 लोगों को गिरफ्तार किया था।
अमेरिकी संसद में भी इसी तरह हुई थी हिंसा
इस घटना के बाद बोल्सोनारो पर हिंसा भड़काने के आरोप लगे थे। सुप्रीम कोर्ट ने इसकी जांच में पूर्व राष्ट्रपति का नाम भी शामिल करने का आदेश दिया था। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, बोल्सोनारो ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने प्रेरित होकर ऐसा किया था।
दरअसल, 2 साल पहले 6 जनवरी 2021 को अमेरिका में भी ऐसी ही हिंसा हुई थी। चुनाव हार चुके राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के समर्थक कैपिटल हिल यानी अमेरिकी संसद में दाखिल हुए थे और तोड़फोड़ की थी। इसमें एक पुलिस अफसर समेत 5 लोगों की मौत हो गई थी। इस घटना की जांच कर रही कमेटी ने 18 महीने बाद हिंसा के लिए ट्रम्प को जिम्मेदार ठहराया था।