आने वाले वक्त में बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) सरकारी कामकाज में ‘कॉरपोरेट कल्चर’ की मिसाल बने जाएंगे। वही बीएलओ जो इन दिनों एसआईआर अभियान को लेकर कथित मानसिक दबाव के चलते चर्चा में हैं। दरअसल, उत्तर प्रदेश के तमाम जिलों में अभियान में लगे बीएलओ की मौतों के बाद दबाव कम करने की कवायद की जा रही है। इसी के तहत काम के साथ इंज्वाय को शामिल करने की योजनाएं लायीं जा रहीं है, जैसा कि कॉर्पोरेट कल्चर का एक उद्देश्य है। यानि एक ऐसा माहौल बनाया जाए जहां कर्मचारी सहज महसूस करें और अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर सकें।
इसी कड़ी में बीते दिनों केन्द्रीय चुनाव आयोग ने जहां बीएलओ का परिश्रमिक बढ़ाया और उन्हें एक सप्ताह का अतिरिक्त समय दिया वहीं जिला प्रशासन स्तर भी एसआईआर में लगे बीएलओ में उत्साह भरने को लुभावने ऑफर्स की बौछार लगा दी गई है। इन ऑफर्स में किसी जिले का प्रशासन बीएलओ में उत्साह भरने को कंसर्ट का टिकट दे रहा है तो कहीं उन्हें फाइव स्टार होटल में विद फेमली दो दिन और दो रात टिकने का पैकेज दिया जा रहा है। इस कड़ी में फिल्म का टिकट, फेमली टूर और कैश इनाम से लेकर डिनर तक का प्रस्ताव है।
उदाहरण के तौर पर मथुरा जिले में जब पाया गया कि एसआईआर अभियान में जिला पिछड़ रहा है तो वहां बीएलओ को विशेष आफर दिया गया है। वहां एसआईआर में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने पर बीएलओ को प्रशस्ति पत्र के साथ सपरिवार बांके बिहारी के वीआईपी दर्शन कराया जाएगा। इसके साथ ही उन्हें सपरिवार स्पेशल लंच व मूवी टिकट भी दिए जाएंगे।
इसी तरह गाजियाबाद जिले में अभियान के तहत काम कर रहे सुपरवाइजर और बीएलओ के लिए बंपर इनामों की घोषणा की गई है। प्रशासन ने तय किया है कि जो कर्मचारी फॉर्म वितरण और डिजिटाइजेशन का काम सबसे पहले और समय से पूरा करेंगे, उन्हें न सिर्फ नकद राशि मिलेगी, बल्कि उन्हें सपरिवार के साथ शहर के नामचीन लग्जरी होटलों में रहने और लुत्फ भी उठाने को मिलेगा।
रामपुर जिले का भी एक उदाहरण देखिए- वहां बेहतर काम करने वाले दस बीएलओ को जिला प्रशासन ने सम्मानित किया। डीएम ने न केवल इन बीएलओ को अपने आवास पर आमंत्रित कर सम्मानित किया, बल्कि उन्हें भोजन भी कराया। सम्मान पाकर बीएलओ उत्साहित नजर आए। ऐसा ही बांदा जिले में प्रशासन ने किया जहां बीते दिनों 90 प्रतिशत काम पूरा करने वाले दर्जनों बीएलओ प्रशस्ति-पत्र और शॉल ओढ़ा कर सम्मानित किया गया। हालांकि इस तरह प्रोत्साहित करने के अलावा निराशाजनक प्रदर्शन करने वाले कर्मियों को पर कार्रवाई भी की गई है।
बहरहाल, इस तरह के देशव्यापी सरकारी मिशन को अंजाम तक पहुंचाने के लिए एक ऐसा कार्य वातावरण तैयार करने की पहल सुखद संकेत है, जहां कर्मचारियों के मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक स्वास्थ्य का ध्यान रखा जाए। बीएलओ प्रोत्साहित करने की ताजा कवायद सरकारी वर्क कल्चर में बदलाव की दस्तक है।
