ब्लैक फंगस से बच्चों को ऐसे बचाएं:UP में करीब 2 हजार बच्चों में पोस्ट कोविड बीमारी का खतरा

Health /Sanitation UP

(www.arya-tv.com)बीते दिनों मुंबई में बच्चों में पाए गए ब्लैक फंगस के तीन मामलों ने राजधानी लखनऊ के विशेषज्ञों को हैरत में डाल दिया है। प्रदेश में शून्य से 18 साल आयु वर्ग के करीब 20 हजार लोग कोरोना से संक्रमित हुए हैं। इनमें से 10 फीसदी यानी 2 हजार से ज्यादा बच्चों में मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम (एमआईएस-सी) का खतरा रहा है। हालांकि अभी उत्तर प्रदेश में बच्चों में ब्लैक फंगस के एक भी केस की पुष्टि नहीं हुई है।

लेकिन इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक के प्रभारी डॉ शलभ कुमार का कहना है कि लोगों को ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है। उन्होंने अभिभावकों को बच्चों की हेल्थ मॉनिटरिंग करने की सलाह दी है। कहा, कोरोना से ठीक हो चुके बच्चे की 30 दिन तक खुद हेल्थ मॉनिटरिंग करें। लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। ऐसा करने पर उन्हें गंभीर होने से बचा सकते हैं।

कमजोर इम्यून वाले रहे ज्यादा सतर्क

कोरोना मरीजों के साथ-साथ कमजोर इम्युनिटी वाले हर एक को सजग रहना होगा। कारण, यह फंगस आपके घर में है लिहाजा, जरा भी लापरवाही जानलेवा हो सकती है। यह म्युकरमायसिटीस ग्रुप का फंगस है। फंगस नमी वाले स्थान, फफूंद वाली जगह, लकड़ी पर, गमले में, लोहे पर लगी जंग में, गोबर में व जमीन की सतह पर पाया जाता है। यानी कि यह वातावरण में मौजूद है। ऐसे में घर या आसपास भी ब्लैक फंगस का खतरा हो सकता है।

नाक में पहुंचता है शरीर में

ब्लैक फंगस वातावरण में है। ऐसे में हर किसी की नाक तक पहुंचता है। मगर मजबूत इम्युनिटी वाले व्यक्तियों में अपना दुष्प्रभाव नहीं छोड़ पाता है, जबकि कमजोर इम्यूनिटी वाले मरीजों के शरीर में घातक बन जाता है।

ब्लैक फंगस से इन्हें ज्यादा खतरा पर बच्चे भी चपेट में

म्यूकरमाइकोसिस की जद में सबसे ज्यादा आने वाले कैंसर के रोगी, डायबिटीज के रोगी, हाइपोथायराइड के मरीज, ट्रांसप्लांट के मरीज, वायरल इंफेक्शन के मरीज, बैक्टीरियल इंफेक्शन के मरीज, एचआईवी, टीबी, कोविड इंफेक्शन के मरीज, पोस्ट कोविड मरीज, कीमोथेरेपी, स्टेरॉयड थेरेपी और इम्युनोसप्रेशन थेरेपी के मरीजों है पर अब बच्चे भी इसके संक्रमित पाएं जा रहे है और उन पर भी लगातार ब्लैक फंगस का खतरा मंडरा रहा है।

देर करने पर नाक में जमावड़ा कर लेता फंगस

विशेषज्ञों की माने तो ब्लैक फंगस पहले नाक में जाता है। नाक बंद होने लगती है। उसमें भारीपन, नाक का डिस्चार्ज होना, हल्का दर्द होना या फिर लालिमा, दाना होने जैसे लक्षण महससू होने पर तुरंत सतर्क हो जाएं। डॉक्टर को दिखाकर फंगस को शुरुआती दौर में ही मात दे सकते हैं। इसे नजरंदाज करने पर फंगस पैरानेजल साइनसेस (पीएनएस) में एकत्रित होकर बॉल बनाता है।इसके बाद आंख में पहुंच बनाता है। धीरे-धीरे त्वचा भी काली कर देता है।ऐसी स्थिति में सर्जरी कर आंख को निकालना तक पड़ जाता है।

एमआईएस-सी का खतरा

कोरोना से ठीक होने वाले बच्चों में 4 से 6 सप्ताह में मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम (एमआईएस-सी) की समस्या उभर रही है। कोरोना की पहली लहर में बच्चों में यह बीमारी नहीं पाई गई थी। वहीं दूसरी लहर में यह बीमारी बच्चों में उभर कर आ रही है। बच्चों में एमआईएस-सी कई समस्याएं बढ़ा देता है। इसमें शरीर की त्वचा पर रेशस पड़ जाते हैं। इसके अलावा बुखार, सांस लेने में कठिनाई, पेट में दर्द, त्वचा और नाखूनों का नीला पड़ना रोग के लक्षण हैं। वहीं ह्रदय की धमनी में एन्युरिज्म की समस्या से हार्ट फेल्योर का खतरा होता है। इसके अलावा ब्रेन, किडनी, फेफड़े को भी प्रभावित करता है। इस सिंड्रोम से पीड़ित बच्चे मल्टी ऑर्गन फेल्योर की चपेट में आ जाते हैं और उनकी मौत हो जाती है। इसमें 4 से 15 वर्ष की आयु के बच्चे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं।

दांतों की सफाई है अहम

ब्लैक फंगस दांतों और जबड़ों को भी नुकसान पहुंचा रहा है।ऐसे में दांतों की सफाई अहम है। ब्रश करने में हीलाहवाली न करें। टूथब्रश को डिसइंफेक्ट करके रखें, मसूड़ों और जीभ को स्वस्थ और साफ रखें ताकि अन्य तरह के इंफेक्शन्स से भी दूर रहें। लक्षण महसूस होने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। अगर कोई व्यक्ति हाल ही में कोरोना वायरस से उबरा है तो वह इन लक्षणों पर जरूर ध्यान दें।

ओरल टिशूज के रंग का बदलना

यदि आप कोरोना मरीज रहे हैं। आपके ओरल टिशूज और उसके आसपास रंग बदल रहा है। ऐसे में इसे हल्के में न लें और तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।

मसूड़ों में पस आना

मसूड़ों में पस या किसी तरह का संक्रमण भी ब्लैक फंगस का शुरुआती लक्षण हो सकता है। उभरे हुए सफेद धब्बों, पस या मसूड़ों में दर्द को लेकर सतर्क रहें।

मुंह या गालों का सुन्न होना

मुंह या गालों के आसपास सुन्नपन महसूस होने पर भी ध्यान दें। एक तरफ सूजन, पैरालिसिस, लालिमा, सुन्नपन होने जैसे लक्षण भी ब्लैक फंगस के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं। मासंपेशियों में अचानक कमजोरी, लार टपकना भी फंगल इंफेक्शन का लक्षण हो सकता है।

दांत-जबड़ों के दर्द को न करे नजरअंदाज

ब्लैक फंगस के कारण व्यक्ति के दांतों या जबड़े में दर्द महसूस हो सकता है।चेहरे पर सूजन आ सकती है। ब्लैक फंगस के कारण हड्डियों में रक्त का संचार बंद हो जाता है, जिससे उसमें गलन शुरू हो जाती है।इलाज में देरी होने पर व्यक्ति का दांत या जबड़ा भी निकालना पड़ सकता है।वहीं आंत-किडनी पर भी असर डालता है।