मुफ्त सरकारी राशन में बड़ा खेल, कोटेदारों की मनमानी से अनजान नहीं है सरकार

# ## Lucknow

   (www.arya-tv.com) मुफ्त राशन के तहत देश भर में करीब 80 करोड़ राशन कार्ड धारकों को अब सितंबर 2022 तक मुफ्त राशन मिलता रहेगा। आपको बता दें कि पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना का ऐलान मार्च 2020 में लॉकडाउन लागू होने के बाद किया गया था।

इस योजना का मकसद था की कोई कोरोना महामारी की वजह से इंसान भुखमरी का शिकार न हो इस योजना के अंतर्गत एक व्यक्ति को 5kg गेंहू 3kg चावल और कभी कभी चना  रिफाइंड इत्यादि दिया जाने का प्रावधान किया किन्तु कोटेदारों ने इस व्यवस्था की दज्जियाँ उड़ाने की कोई कसर नही छोड़ी अन्य कोई विकल्प न होने के कारण सरकार इन्ही कोटेदारों पर निर्भर है
कोटेदार ग़रीबों को दो वक्त की रोटी देने के बजाय गरीबों का हक छीन रहे हैं  कोटेदारों को सरकारों द्वारा उच्च कोटि का शुद्ध राशन प्रदान किया जाता है लेकिन कुछ कोटेदार सरकार द्वारा आये राशन को बाजार में बेच देते और बाद में कम पैसों में घटिया क्वालिटी काराशन खरीदकर जनता में बाँटते है

ऐसा नही है कि अधिकारियों को इन कोटेदारों की इन कारगुजारी का पता नही है परंतु वो स्वार्थवश इस ओर से आंखे मुंधे है जिससे यह घोटाला करने वाले कोटेदारों के विरुद्ध कोई कार्यवाही नही होती है सरकारी राशन कहा और किन्हें बँट रहा है ये देखने का विषय है जो उपभोक्ता है वो इसकी शिकायत अनेक बार  माननीय मुख्यमंत्री से  कर चुके है साथ ही सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी कई बार ट्वीट करके इस समस्या की ओर सरकार का ध्यान आकृष्ट किया लेकिन वरिष्ठ अधिकारी इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हैं और गरीब को जो कुछ मुफ़्त में मिल रहा है वह उसी में सन्तुष्ट है

आशियाना स्थित एक कोटेदार ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि वह प्रति किलो राशन में 200 ग्राम की कटौती करके ही राशन बांटता है इसके पीछे तर्क यह है कि सरकारी बोरी में 85 से 90 किलो गेँहू ही निकलता है जबकि गोदाम से दुकान तक लाने के खर्च वितरण करने वाले कर्मचारी का वेतन इसी घटतौली से भरपाई किया जाता है एक कोटेदार ने तो चने के स्थान पर घुना हुआ चना प्रति परिवार पर मात्र 300 ग्राम का वितरण किया है यही हाल शहर के अन्य कोटेदारों का भी है।
हमारे संवाद सूत्र विवेक सिंह की रिपोर्ट