मणिनाथ मंदिर में भक्तों की हर मुराद पूरी करते हैं भोलेनाथ, महंत बोले- पहले सांप देता था दर्शन

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(www.arya-tv.com)  बरेली की पहचान नाथ नगरी से नाम से भी है। मौजूद समय में यहां सात मंदिर हैं, लेकिन चारों दिशाओं में चार प्राचीन मंदिर हुआ करते थे, जो आज भी अलग अलग नामों से जाने जाते हैं। बरेली शहर में मणिनाथ मंदिर सबसे प्राचीन मंदिरों से एक है, यह मंदिर कई हजार साल पुराना बताया गया है। मंदिर में स्थापित शिवलिंग कुएं की खुदाई के समय प्रकट हुआ था।

कुए की खुदाई के समय प्रकट हुआ शिवलिंग

मणिनाथ मंदिर के महंत प्रेम गिरी बताते हैं कि मैं पिछले करीब 55 साल से इस मंदिर की सेवाभाव से जुड़ा हुआ है। भोलेनाथ ने कभी कोई विपदा नहीं आने दी। पूर्व में हमारे पीढी के पूर्वज इस मंदिर की देखरेख करते थे। इस मंदिर को सबसे प्राचीन मंदिर बताया जाता है। बरेली चार मंदिरों के बीच में बसा हुआ शहर है, इसलिए इसका नाम बरेली पड़ा। एक दिशा में मणिनाथ मंदिर, दूसरी दिशा में बलखंडी नाथ मंदिर, तीसरा मंदिर तपेश्वर नाथ मंदिर और चाैथी दिशा में अलखनाथ मंदिर स्थापित है।

यहां पूर्व में कुंए की खुदाई कराई जा रही थी, जब यहां शिवलिंग प्रकट हुआ। उस समय शिवलिंग पर सर्प लिपटा हुआ था। जिसे कुएं से निकालकर पास में स्थापित किया। आज भी वह कुआं यहां पर बना हुआ है। मान्यता है कि कुएं की परिक्रमा करने से भी बिगड़े हुए कार्य भोलेनाथ पूर्ण करते हैं।

शिवलिंग के पास दर्शन देता था सर्प

महंत प्रेम गिरी के अनुसार बरेली शहर के पश्चिम दिशा में मढ़िनाथ मंदिर है। बताया जाता है कि यहां प्राचीन समय में एक बाबा रहते थे। जिनके पास मणिधारी सर्प था। इसी सर्प के नाम पर इस मंदिर का नाम मढ़िनाथ मंदिर पड़ा। महंत आगे बताते हैं कि सावन माह में मान्यता है कि जो भी मंदिर में सोमवार और शिवरात्रि पर जल चढ़ाकर सच्चे मन से मन्नत मांगता है भोलेनाथ उनकी मुराद परी करते हैं।

इसलिए यहां सुबह से ही भक्तों की लाइन लगने लगती है। दूर दराज से शिवभक्त यहां जल चढ़ाने आते हैं। महंत आगे बताते हैं कि यहां प्रचीन समय से ही सर्प का जोड़ा रहता था। 12 साल पहले तक भी कई बार सर्प शिवलिंग के आसपास देखा जाता रहा है।

मुराद पूरी होने पर भंडारे का आयोजन

मणिनाथ मंदिर में जला चढ़ाकर मांगी गई। हर मुराद पूरी होती है। सावन में दूरदराज से दर्शन के लिए इस मंदिर में भक्त पहुंचते हैं। हर दिन भी सुबह और शाम के समय यहां आते हैं। कावंड़िए भी जल चढ़ाकर अपनी मुराद मांगते हैं। मुराद पूरी होने पर मंदिर परिसर में भंडारा लगाया जाता है। इस शिवलिंग पर पूरे सावन के दौरान बेलपत्र से भगवान शिव का श्रंगार किया जाता है। हर त्योहार पर मंदिर को सजाया जाता है।