- दिल्ली न केवल आधुनिक भारत की जीवनधारा है, बल्कि है विविधता में एकता की भावना का जीवंत उदाहरण- प्रो. राज कुमार मित्तल
बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में 1 नवंबर को ‘दिल्ली राजयत्व दिवस’ के अवसर पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राज कुमार मित्तल ने की। मुख्य अतिथि के तौर पर आईएएस अधिकारी एवं उत्तर प्रदेश सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के सूचना निदेशक विशाल सिंह उपस्थित रहे। इसके अतिरिक्त विशिष्ट अतिथि के तौर पर राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अमरपाल सिंह एवं भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान (ICAR-IISR), लखनऊ के निदेशक डॉ. दिनेश सिंह उपस्थित रहे। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन एवं बाबासाहेब की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित करने के साथ हुई। विश्वविद्यालय कुलगीत गायन के पश्चात आयोजन समिति की ओर से अतिथियों को स्मृति चिन्ह, अंगवस्त्र एवं पुष्पगुच्छ भेंट करके उनके प्रति आभार व्यक्त किया गया। डॉ. लता बाजपेयी सिंह ने मंच संचालन के साथ- साथ सर्वप्रथम कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों का स्वागत किया और सभी को कार्यक्रम के उद्देश्य एवं रुपरेखा से अवगत कराया।
विश्वविद्यालय कुलपति प्रो. राज कुमार मित्तल ने आयोजन समिति को इस प्रकार के सफल एवं सार्थक आयोजन के लिए हार्दिक बधाई दी। उन्होंने कहा कि भारत एक ऐसा देश है जो अपनी विविधता में अद्वितीय है, चाहे कार्यक्षेत्र की बात हो, शिक्षा की, संस्कृति की या किसी अन्य क्षेत्र की, भारत का अनुभव अत्यंत समृद्ध और बहुआयामी है। प्रो. मित्तल ने यह भी उल्लेख किया कि किसी भी देश के लोकतांत्रिक ढांचे की वास्तविक मजबूती इस बात पर निर्भर करती है कि उसके नागरिक एक-दूसरे को कितनी गहराई से समझते और पहचानते हैं। शिक्षा और शोध को प्रोत्साहन देना, ज्ञान का आदान-प्रदान करना, और परस्पर सहयोग की भावना को बढ़ावा देना ही एक सशक्त लोकतंत्र की आधारशिला है। दिल्ली के संदर्भ में प्रो. मित्तल ने कहा कि यह शहर देश का आर्थिक, प्रशासनिक और सांस्कृतिक केंद्र है, जो भारत की प्रगति और एकता का प्रतीक है। उन्होंने बताया कि पिछले 25 वर्षों में दिल्ली ने शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं, संस्कृति, कला और खानपान जैसे क्षेत्रों में उल्लेखनीय परिवर्तन देखे हैं, जिन्होंने भारत की पहचान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और सशक्त बनाया है। दिल्ली न केवल आधुनिक भारत की जीवनधारा है, बल्कि विविधता में एकता की भावना का जीवंत उदाहरण भी है। प्रो. मित्तल ने कहा कि यही विशेषता हमारे समाज में समरसता की भावना को जागृत करती है और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को और अधिक सुदृढ़ बनाती है।
मुख्य अतिथि, आईएएस अधिकारी एवं उत्तर प्रदेश सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के सूचना निदेशक विशाल सिंह ने अपने विचार रखते हुए कहा कि हम सभी नागरिकों के लिए यह अत्यंत आवश्यक है कि हम अपने देश के संघीय ढांचे को भली-भांति समझें, क्योंकि यही भारत की लोकतांत्रिक प्रणाली की सबसे बड़ी शक्ति है। आज हम सभी उत्तर प्रदेश में दिल्ली राज्यत्व दिवस मना रहे हैं, जो केवल एक राज्य का उत्सव नहीं बल्कि विभिन्न राज्यों और संस्कृतियों के बीच सहयोग, सहभागिता और एकता का प्रतीक है। यह दिवस हमें यह संदेश देता है कि भारत जैसे विशाल देश की शक्ति उसकी विविधता में निहित है। उन्होंने बताया कि विद्यार्थियों को डॉ. भीमराव अंबेडकर के विचारों और आदर्शों को गहराई से समझना चाहिए, क्योंकि बाबासाहेब ने एक ऐसे भारत की परिकल्पना की थी जहाँ समानता, बंधुत्व और न्याय के सिद्धांतों के आधार पर सभी नागरिक आगे बढ़ें। विद्यार्थियों को सभी संस्कृतियों, भाषाओं और परंपराओं से जुड़े लोगों के साथ मिलकर कार्य करना चाहिए, आपसी संवाद और सहयोग को बढ़ावा देना चाहिए, ताकि राष्ट्रीय एकता और सामाजिक समरसता को और मजबूत किया जा सके। श्री विशाल सिंह ने यह भी कहा कि ऐसे अवसर हमें यह याद दिलाते हैं कि हमारी जिम्मेदारी केवल अपने राज्य तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे राष्ट्र के विकास और एकता के प्रति है।
विशिष्ट अतिथि एवं राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अमरपाल सिंह ने चर्चा के दौरान कहा कि हम सभी के लिए यह अत्यंत आवश्यक है कि हम अन्य संस्कृतियों और विभिन्न राज्यों से जुड़े व्यक्तियों के व्यक्तित्व, विचारों और जीवन मूल्यों को जानें और समझें। ऐसा करने से न केवल हमारा दृष्टिकोण व्यापक होता है, बल्कि हम एक-दूसरे को वैचारिक रूप से समृद्ध करने का कार्य भी करते हैं। उन्होंने कहा कि विविधता में एकता भारत की सबसे बड़ी पहचान है, जहाँ अनेक भाषाएँ, परंपराएँ और संस्कृतियाँ होते हुए भी सबका उद्देश्य एक है — राष्ट्र की प्रगति और एकता। उन्होंने आगे कहा कि दिल्ली न केवल भारत की राजधानी है, बल्कि यह पूरे राष्ट्र की सांस्कृतिक, सामाजिक और वैचारिक एकजुटता का केंद्र भी है। प्रो. अमर पाल जी ने इस अवसर पर सभी से आह्वान किया कि वे आपसी सौहार्द, सहयोग और सांस्कृतिक आदान-प्रदान की भावना को आगे बढ़ाएँ, ताकि भारत की यह अद्भुत एकता सदा बनी रहे।
भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान (ICAR-IISR), लखनऊ के कार्यकारी निदेशक डॉ. दिनेश सिंह ने अपने संबोधन में भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान के कार्यों, उद्देश्यों और परियोजनाओं के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह संस्थान देश में गन्ना उत्पादन की गुणवत्ता एवं उत्पादकता बढ़ाने के लिए निरंतर अनुसंधान कर रहा है। डॉ. दिनेश सिंह ने यह भी उल्लेख किया कि दिल्ली देश की धड़कन है, जहाँ से अधिकांश वाणिज्यिक और प्रशासनिक गतिविधियाँ संचालित होती हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली राज्यत्व दिवस जैसे अवसर हमें यह याद दिलाते हैं कि राजधानी न केवल राजनीतिक केंद्र है, बल्कि यह पूरे देश की आर्थिक, वैज्ञानिक और सामाजिक गतिविधियों का प्रेरणा स्रोत भी है। ऐसे में भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान जैसे संस्थानों का योगदान राष्ट्र निर्माण और सतत विकास की दिशा में अत्यंत महत्वपूर्ण है।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय मीडिया सेंटर ‘दिल्ली- देश की धड़कन’ विषय पर डॉक्यूमेंट्री प्रस्तुत की गयी। साथ ही मंचासीन अतिथियों द्वारा ‘दिल्ली- एक यात्रा’ संकलन का विमोचन किया गया। साथ ही विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। इसके अतिरिक्त विश्वविद्यालय की ओर से कवि सम्मेलन का भी आयोजन किया गया। कवि सम्मेलन के दौरान मुख्य अतिथि के तौर पर राष्ट्रीय कवि संगम, नई दिल्ली के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगदीश मित्तल उपस्थित रहे। इसके अतिरिक्त सीतापुर के कमलेश मौर्य मृदु, गुड़गांव के डॉ. अशोक बत्रा, बाराबंकी के शिवकुमार व्यास, प्रयागराज के अटल नारायण, लखनऊ की सोनी मिश्रा, रायबरेली के उत्कर्ष उत्तम एवं हरदोई के मृत्युंजय शुक्ला ने विभिन्न विषयों पर अपनी कविताएं प्रस्तुत की और दर्शकों का मन मोहा। सभी कवियों को आयोजन समिति की ओर से स्मृति चिन्ह एवं अंगवस्त्र भेंट करके सम्मानित किया गया। साथ ही विद्यार्थियों की ओर से विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी गयी। इसके अतिरिक्त विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों के बीच से निखरते युवा उद्यमियों द्वारा विभिन्न स्टॉल लगाये गये।
इस दौरान डीन ऑफ अकेडमिक अफेयर्स प्रो. एस. विक्टर बाबू, प्रॉक्टर प्रो. राम चंद्रा, डीएसडब्ल्यू प्रो. नरेन्द्र कुमार, विभिन्न संकायों के संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, शिक्षकगण, गैर शिक्षण कर्मचारी एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।
