बदायूं।(www.arya-tv.com) पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) की बिसौली शाखा में बिजली विभाग की बिलिंग के 65 लाख रुपये में घपला सामने आया है। घोटाले से पर्दा उठने के बाद गुरुवार को पूरे दिन विद्युत विभाग के अधिकारियों समेत बैंक प्रशासन उन चैकों का रिकार्ड खंगाल रहा है, जिनकी जमापर्ची बदलकर लाखों की रकम सफाइकर्मी बीरवाला समेत उसका बेटा संजय डकार गए हैं। इधर, बीरवाला के खिलाफ बर्खास्तगी की कार्रवाई की गई है।
31 दिसंबर को रिटायरमेंट पर उसे मिलने वाले देयों का भुगतान भी रोक दिया गया है। वहीं पुलिस को फिलहाल किसी ने मामले की तहरीर नहीं दी है। पीएनबी बैंक प्रशासन की इसी हीलाहवाली का फायदा भी प्रत्यक्ष तौर पर पुलिस को मिल रहा है। बिजली विभाग का पीएनबी में खाता है। चेक के माध्यम से आने वाली धनराशि को इसी बैंक में जमा किया जाता है। खासियत यह है कि साल 2009 से लेकर 2017 तक घोटालेबाजी होती रही लेकिन न तो बैंक प्रबंधन ने इस ओर ध्यान दिया और न ही विद्युत विभाग के जिम्मेदारों ने सुध ली।
वह उपभोक्ताओं पर बकाया बढ़ाए जा रहे थे और उनके खिलाफ कनेक्शन काटने से लेकर आरसी जारी किए जाने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई। वहीं संजय खुद समेत परिवार के लोगों के खातों में इन चैक की रकम ट्रांसफर करता रहा और लाखों के वारे न्यारे कर लिए। अधीक्षण अभियंता राजीव कुमार का कहना है कि पीएनबी बरेली की टीम इस मामले की जांच कर रही है। फिलहाल चैक की डिटेल खंगाली जा रही है। उन उपभोक्ताओं की सूची बनाई जाएगी, जिन्होंने चैक से बिल दिया था।
ताकि स्थिति स्पष्ट हो सके। घपलेबाजी बैंक में हुई है। बैंक के अधिकारियों ने कोतवाली पुलिस से भी पिछले दिनों संपर्क साधा था, यहां पुलिस ने यह पाठ पढ़ा दिया कि घोटाला 50 लाख से अधिक का है, ऐसे में जांच आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा ही करेगी। नियम के मुताबिक थाना स्तर से ऐसी जांच संभव नहीं है। वहीं अधिकारी एसएसपी से मिले तो एसएसपी ने विभागीय जांच पूरी कर साक्ष्य संकलित करने को कहा।
साथ ही यह आश्वासन भी दिया कि मुकदमा कोतवाली में ही दर्ज होगा। तफ्तीश कहां से होगी, यह बाद की बात है। ऐसे में अब बैंक प्रशासन साक्ष्य संकलित करने में जुटा हुआ है। आठ साल में बिजली विभाग को 65 लाख का चूना लग गया और किसी भी अधिकारी को इसकी भनक भी नहीं लगी। मजेदार बात तो यह है कि इस दौरान बिजली विभाग ने अपना खाता भी चैक नहीं किया। इसके साथ ही किसी भी अधिकारी ने बैंक में जाकर खाता भी नहीं देखा।
कुल मिलाकर इस पूरे घोटाले में पंजाब नेशनल बैंक की भूमिका संदिग्ध है वहीं पर बिजली विभाग के आला अधिकारियों की लापरवाही भी उजागर हो रही है। एक प्राइवेट व्यक्ति द्वारा बैंक में इतना बड़ा लेन देन करवाना लोगों के गले नहीं उतर रहा है। आरोपी संजय ही बिजली विभाग में जाकर चैक लेकर आता और यही स्टेट बैंक में चैक को क्लीयरेंस कराने भी ले जाता। इसी दौरान ही उसने यह सब गोलमाल कर दिया। इतना ही नहीं नगर के अधिकांश बैंको में प्राइवेट लोगों द्वारा रुपयों का लेन देन तक किया जाता है। पिछले दिनों तो स्टेट बैंक में रुपयों को बंडल बनाना और गिनना भी इन्हीं लोगों द्वारा किया जाना चर्चा का विषय रहा। इससे बैंक प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगने लगे हैं।
