मुख्तार अंसारी यूपी नहीं लौटना चाहता:पेशी के लिए यूपी पुलिस लेने पहुंची, लेकिन पंजाब पुलिस ने मंजूरी नहीं दी

UP

(www.arya-tv.com)यूपी में गैंगस्टर से राजनेता बने मऊ से बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी पंजाब की रोपड़ जेल से वापस नहीं लौटना चाहता है। उसे लेने गई यूपी पुलिस को पंजाब से बैरंग लौटना पड़ा। उसे प्रयागराज स्थित एमपी/एमएलए कोर्ट में पेश किया जाना था। लेकिन जेल के मेडिकल बोर्ड ने अवसादग्रस्त और डायबिटीज से पीड़ित बताकर मुख्तार को तीन माह के बेड रेस्ट पर रहने की सलाह दी है। इसी मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर जेल प्रशासन ने मुख्तार को यूपी पुलिस के हवाले करने से इंकार कर दिया। इस मामले की बारीकी से मॉनिटरिंग कर रहे डीजीपी मुख्यालय के अधिकारी भी हैरान हैं।

21 अक्टूबर को कोर्ट में पेश करना था

दरअसल, गाजीपुर जिले के मोहम्मदाबाद थाने में मुख्तार अंसारी के खिलाफ फर्जी नाम-पते पर शस्त्र लाइसेंस लेने का केस चल रहा है। जिसमें 21 अक्टूबर को मुख्तार को रोपड़ जेल से लाकर प्रयागराज स्थित एमपी/एमएलए कोर्ट में पेश करना था। डीजीपी मुख्यालय के अधिकारियों के निर्देश पर गाजीपुर पुलिस की टीम मुख्तार अंसारी को लाने के लिए पंजाब गई थी। हालांकि मुख्तार को यूपी भेजने से पहले गठित पंजाब की मेडिकल बोर्ड ने उन को बड़ी राहत दे दी।

मेडिकल बोर्ड में शामिल पवन कुमार, डॉ. राजीव अग्रवाल और एसएन शर्मा ने मुख्तार को डायबिटीज मरीज बताया और उन्हें 3 महीने का बेड रेस्ट करने की सलाह दी। इसके बाद रोपड़ पुलिस और जेल प्रशासन ने मुख्तार को भेजने से इंकार कर दिया। मुख्तार अंसारी 23 जनवरी 2019 से पंजाब की जेल में बंद है। उसे मोहाली के एक बिल्डर से 10 करोड़ की रंगदारी मांगे जाने के मामले में गिरफ्तार किया गया था। उत्तर प्रदेश में योगी सरकार मुख्तार की अवैध संपत्तियों पर कार्रवाई कर रही है।

मुख्तार की पत्नी व बेटे फरार

मुख्तार की पत्नी अफसा पर सदर कोतवाली क्षेत्र के छावनी लाइन और बबेड़ी इलाके में कुर्क जमीन को अवैध तरीके से कब्जा करने का केस साल 2019 में दर्ज हुआ था। अंसारी के साले सरजील रजा और अनवर शहजाद पर साल 2019 में फर्जी दस्तावेजों पर सरकारी ठेका हासिल करने के आरोप में केस दर्ज है। इसके अलावा मुख्तार की पत्नी पर सरकारी धन के गबन के आरोप में साल 2016 में भी केस दर्ज है। यूपी पुलिस पत्नी और दोनों बेटों की तलाश कर रही है। अधिकारियों को उनके रोपड़ में ही रहने की सूचना मिली है।

पहली बार 1995 में राजनीति में रखा था कदम

मुख्तार अंसारी ने अपराध की दुनिया से राजनीति में पहली बार 1995 में कदम रखा था। बसपा से मऊ से विधायक बनने के बाद लगातार छह चुनाव जीते। लेकिन 2010 में बसपा ने मुख्तार को पार्टी से निष्कासित कर दिया। इसके बाद उसने कौमी एकता दल का गठन किया और 2012 में विधानसभा चुनाव जीत लिया। हालांकि चुनाव बाद पार्टी का बसपा में विलय हो गया। अंसारी ने 2017 का चुनाव भी मऊ से जीता है।