क्या है कान्हा का बघेरा मॉड्यूल? जिसे पीलीभीत टाइगर रिजर्व में किया जाएगा लागू

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बीते दिनों पीलीभीत टाइगर रिजर्व के एसडीओ की अगुवाई में एक दल कान्हा टाइगर रिजर्व गया था. वहां प्रवास के दौरान वहां के प्रशासन द्वारा अमल में लाई जाने वाली कई तकनीकों को यहां भी लागू किए जाने की उम्मीद जताई जा रही है. जिसमे कान्हा की बघेरा तकनीक को सबसे पहले अमल किया जा सकता है.दरअसल, बघेरा मॉड्यूल सफारी वाहनों के प्रबंधन व निगरानी का एक तंत्र है. जिसके तहत जंगल में सैर कराने वाले सफारी वाहनों की लोकेशन को ट्रैक किया जाता है.

यूपी का पीलीभीत टाइगर रिजर्व बाघों की साइटिंग के लिहाज से काफी अधिक प्रसिद्ध हो रहा है. वहीं पीलीभीत टाइगर रिजर्व आने वाले सैलानियों को सबसे अधिक साइटिंग महोफ रेंज स्थित कच्ची व पक्की पटरी का इलाका सबसे अधिक मुफीद माना जाता है. यही कारण है कि सफारी चालक व नेचर गाइड पर्यटकों की बाघ के दीदार की ख्वाहिश पूरी करने के लिए सफारी के लिए मिले तीन घंटों में से अधिकांश समय इस इलाक़े में ही गुज़ारते हैं.

जगलों में बढ़ रहा है इंसानी दखल
ऐसा करने से पर्यटकों को बाघ की साइटिंग तो हो जाती है लेकिन जानकारों की मानें तो यह जंगल के लिहाज़ से ख़तरनाक साबित हो सकता है. लगातार इतने वाहनों की आवाजाही व इंसानी दखल के चलते बाघों के व्यवहार में भी बदलाव आ सकता है. ऐसे में पर्यटन को नियंत्रित करने के लिए पीलीभीत टाइगर रिज़र्व प्रशासन की ओर से लगातार कवायद की जा रही है. बीते दिनों सफारी चालकों गाइडों को एक रूट पर एक ही बार सैर करने की हिदायत दी गई थी.