जिस मंदिर में गैंगरेप हुआ, वहां दलितों को एंट्री नहीं

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(www.arya-tv.com)उत्तर प्रदेश का बदायूं 8 साल बाद फिर सुर्खियों में है। 2012 में दिल्ली में निर्भया के साथ इसी जिले के एक नाबालिग ने दुष्कर्म किया था। यहां उघैती इलाके में रविवार को मंदिर में पुजारी ने दो लोगों के साथ एक दलित महिला के साथ गैंगरेप किया। इसके बाद उसकी हत्या कर दी। जिस मंदिर में हैवानियत का खेल हुआ, वहां दलितों का जाना मना है। वारदात का मुख्य आरोपी पुजारी फरार है।

बदायूं में उघैती थाने से करीब 2 किलोमीटर दूर मवेली गांव है। गांव के मेन रोड से 50 मीटर दूर वह मंदिर है, जहां रविवार को 45 साल की दलित महिला से गैंगरेप कर उसकी बेहद क्रूर तरीके से हत्या कर दी गई थी। अब मंदिर को पुलिस ने अपने कब्जे में ले लिया है। किसी को भी मंदिर के अंदर नहीं जाने दिया जा रहा है। गांव के लोग नेताओं और मीडिया की गाड़ियों को देखने के लिए या तो छतों पर खड़े हैं, या फिर खेतों के किनारे पर।

मंदिर में दलितों को एंट्री नहीं
गांव के चौकीदार खच्चू वाल्मीकि कहते हैं कि जब वारदात हुई तो वे गांव में ही थे। लेकिन, जब मामला बढ़ा तो उन्हें पता चला। वे कहते हैं, ‘हम वाल्मीकि हैं। हमारा मंदिर में आना मना है।’ इसकी तस्दीक मंदिर के नजदीक बने मकान में रह रहे नत्थू भी करते हैं। वे कहते हैं, ‘मेरी उम्र 65-70 के आसपास है। हमने वाल्मीकि और जाटवों को मंदिर जाते नहीं देखा।’ जिस मंदिर में गैंगरेप हुआ, वहां भी दलितों का जाना मना है।

मां ने कहा- पुजारी ने बेटी को फोन कर बुलाया था
मंदिर से करीब 700-800 मीटर दूर पीड़ित का मायका है। वहां एक संकरी गली के बाहर दो पुलिसवाले बैठे हैं। साथ ही गांव वालों की भीड़ लगी हुई है। छोटे से दरवाजे से घर में घुसते ही छप्पर है। पीड़ित की मां आंगन में एक किनारे बैठी हुई है। वे कहती हैं, ‘ठाकुर जी (विष्णु भगवान) के मंदिर में पुजारी ने ऐसा नीच काम किया है। रविवार (घटना वाले दिन) को पुजारी ने फोन कर बेटी को मंदिर बुलाया था।’

उन्होंने बताया, ‘हम घर में अकेले रहते हैं। बेटी रविवार को आती थी और सोमवार को सुबह चली जाती थी। हमने बिटिया को पढ़ाया-लिखाया, तब उसे नौकरी मिली। वही घर का खर्च चला रही थी। पुलिस अगर हमारी बात सुन लेती तो पुजारी भाग नहीं पाता।’