दिहाड़ी मजदूरों को संकट में केजरीवाल ने छोड़ दिया

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नई दिल्ली।  दिल्ली एनसीआर में दिहाड़ी मजदूरी करने वालों को अरविंद केजरीवाल ने मुसीबत के समय यूपी बॉर्डर पर लावारिश हालत में छोड़ दिया है। आनंद विहार बस अड्डे की अपार भीड़ देख कर लग रहा है कि दिल्ली में अरविंद केजरीवाल फेल रहे। अचानक हजारों लोग कैसे बस अड्डा पहुंच गए? शासन-प्रशासन कैसे उन्हें आने दे रहा था। 4 लाख लोगों को प्रतिदिन भोजन के की व्यवस्था का दिल्ली सरकार का दावा भी फेल साबित हो रहा है।

अरविंद केजरीवाल को फौरन घोषणा करनी चाहिए कि दिल्ली में मजदूरों से मकान मालिक 3 महीने तक किराया नहीं लेगा। साथ ही फौरन उनके लिए राशन की भी व्यवस्था करनी चाहिए। सबको सरकारी स्कूलों में रुकने और खाने की व्यवस्था करनी चाहिए। ऐसे संकट के समय में उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री ने उन्हें घर तक पहुंचाने के लिए शनिवार को सैकड़ों बसें चलवाईं।

अब सरकार ने रविवार को निर्णय लिया है कि एनसीआर के गाजियाबाद, मुरादाबाद, नोयडा, ग्रेटर नोयडा में हाईवे के किनारे ही बड़ी संख्या में शैल्टर होम बनाकर यूपी, बिहार समेत सभी राज्यों के प्रवासी मजदूरों को ठहरने और भोजन, स्वास्थ्य की सुविधाएं प्रदान की जाएंगी। दिल्ली की अट्टालिकाओं में रहने वालों यह भवन इन्हीं अप्रवासी मजदूरों के पसीने की दम पर बनकर तैयार हुए हैं। केजरीवाल सरकार सहित मुसीबत के समय मकान मालिकों तक ने मुंह मोड़ लिया।

एक अकेले सन्यासी योद्धा योगी आदित्यनाथ ने यह दायित्व अपने कंधों पर लिया है। यह त्याग, तपस्या और समर्पण से ही संभव हो सका है। मैं इसलिए ही बार-बार कहता हूं कि कोई ऐसे ही नहीं योगी हो जाता है। हम अपने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर अभिमान है।

अतुल मोहन जी की फेसबुक वाल से