सेना की बंदूक से मिसाइल तक 101 डिफेंस प्रोडक्ट्स के इम्पोर्ट पर लगेगा बैन

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(www.arya-tv.com) भारतीय रक्षा मंत्रालय ने आर्मी, एयरफोर्स और नेवी की सलाह के बाद 101 डिफेंस प्रोडक्ट्स के इम्पोर्ट पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने निगेटिव लिस्ट भी जारी कर दी है, जिसमें बंदूक से लेकर मिसाइल तक कई प्रोडक्ट्स शामिल हैं। आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा देने और इम्पोर्ट का बोझ कम करने के लिए यह कदम उठाया गया है। आइये, जानते हैं कि यह फैसला किस तरह भारतीय क्षमताओं को बढ़ाएगा और दूसरे देशों पर निर्भरता कम करेगा।

  • सबसे पहले समझिये कि यह फैसला क्या है?
  • रक्षा मंत्रालय ने एक निगेटिव लिस्ट जारी की है। इसके तहत दिसंबर 2025 तक सिलसिलेवार तरीके से 101 डिफेंस प्रोडक्ट्स के इम्पोर्ट को बैन किया जाएगा।
  • चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बिपिन रावत के नेतृत्व में मिलिट्री अफेयर्स डिपार्टमेंट ने लिस्ट को तैयार किया है। नोटिफिकेशन में यह भी बताया है किस प्रोडक्ट्स का इम्पोर्ट कब बंद किया जाएगा।
  • इम्पोर्ट पर प्रतिबंध एक झटके में नहीं लगेगा, सिलसिलेवार दिसंबर 2025 तक यह प्रभावी होगा। इसमें 69 प्रोडक्ट्स दिसंबर-2020 के बाद विदेश से नहीं आएंगे।
  • इसी तरह 11 प्रोडक्ट्स दिसंबर-2021 के बाद इम्पोर्ट के लिए बैन हो जाएंगे। बचे हुए 21 प्रोडक्ट्स दिसंबर 2022 से दिसंबर 2025 तक इस सूची में शामिल हो जाएंगे।

101 प्रोडक्ट्स की लिस्ट में सामान्य उपकरण ही नहीं बल्कि उच्च तकनीक वाले वेपन सिस्टम मसलन आर्टिलरी गन, असॉल्ट राइफल, सोनार सिस्टम, ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट, एलसीएच रडार जैसे आइटम्स शामिल हैं।

  • क्या मकसद है इस फैसले का?
  • रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस फैसले को आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़ा कदम बताया। इनका विदेशों से इम्पोर्ट होता था। लेकिन अब इन्हें देश में ही बनाया जाएगा, जिससे भारतीय डिफेंस इंडस्ट्री एक्सपोर्ट भी बढ़ाएगी।
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15 अगस्त को आत्मनिर्भर भारत को लेकर केंद्र सरकार की योजना की घोषणा करेंगे। यह पूरी कवायद महात्मा गांधी के स्वदेशी को आगे बढ़ाने के मकसद से की जा रही है।
  • लखनऊ में डिफेंस एक्सपो में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि भारत से डिफेंस एक्सपोर्ट 5 अरब डॉलर करने का लक्ष्य है। उस समय यह नहीं बताया था कि कैसे यह होगा। मौजूदा कदम को उससे जोड़कर देखा जा सकता है।
  • इस समय जो योजना बनाई गई है उसके मुताबिक इन प्रोडक्ट्स को स्वदेश में विकसित करने में रक्षा अनुसंधान और विकास संस्थान (डीआरडीओ) की मदद ली जाएगी। तीनों सेनाओं के लिए यह प्रोडक्ट तैयार किए जाएंगे।