भाई की ससुराल में दमाद बनकर जाते थे अटल बिहारी वाजपेयी

National

(www.arya-tv.com) चरनलाल चौक से दुर्गाबाड़ी जाने वाली सड़क पर बसे दीक्षित परिवार में भले ही प्रेम बिहारी वाजपेयी की ससुराल हो पर दामाद के रिश्ते का असली लुत्फ अगर किसी ने उठाया तो वह थे उनके छोटे भाई भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी। गोरखपुर में 1940 में सहबाला बनने से लेकर प्रधानमंत्री बनने तक अटल जी दीक्षित परिवार के हर छोटे-बड़े समारोहों में न केवल शरीक हुए बल्कि वहां दामाद सी उपस्थिति भी दर्ज कराई। शायद तभी बड़े भाई प्रेम वाजपेयी ने एक बार मजाकिया लहजे में उनसे कहा था, ‘ससुराल हमारी है पर हमसे ज्यादा तो तुम ही गोरखपुर जाते रहते हो।

अटल जी की जयंती की चर्चा जैसे ही उनके भाई की 92 वर्षीय सरहज सरोजनी दीक्षित (प्रेम वाजपेयी के साले स्व. कैलाश नारायण दीक्षित की पत्नी) से छिड़ी, वह पुरानी यादों में खो गईं। उन्होंने उस खुबसूरत पल को साझा किया जो अटल जी ने दीक्षित परिवार के साथ गुजारे थे। बताने लगीं कि अटल जी की ज्यादातर बातें लक्षणा-व्यंजना में होती थीं। बात-बात में कविता कहना उनकी आदत थी। बात करते-करते गंभीर हो जाना और फिर अगले ही क्षण किसी की चुटकी लेकर ठहाका लगवा देना उन्हें बखूबी आता था। यही वजह थी परिवार के हर आयोजन में सभी को उनका बेसब्री से इंतजार रहता था।

अटल जी उनके स्वभाव से इतना प्रभावित रहते थे कि उन्हें विजया बुलाया करते थे। कहते थे सरोजनी अपने जिंदादिल स्वभाव से किसी पर भी विजय पा सकती हैं, इसलिए इन्हें विजया कहना ठीक होगा। सरोजनी दीक्षित बताती हैं कि अटल जी फिल्मों के बहुत शौकीन थे और नरगिस उनकी पसंदीदा अभिनेत्री थी। अटल जब भी आते थे पूरे परिवार को फिल्म दिखाने जरूर ले जाते। मजे की बात तो यह भी कि वहां पहुंच कर सब फिल्म देखते और अटल जी बैठे-बैठे ही सो जाते थे। यादों को टटोल कर उन्होंने बताया कि 60 के दशक में अटल पूरे परिवार के साथ राजकपूर-नरगिस की फिल्म आवारा दिखाने ले गए थे।