(www.arya-tv.com)प्रयागराज, देश-दुनिया की सुर्खियों में है। वजह है गंगा किनारे दफन हजारों शव। यहां के श्रृंगवेरपुर घाट से जो तस्वीरें आईं, वे विचलित करने वाली थी। एक किलोमीटर दायरे में एक मीटर से भी कम दूरी पर शव दफनाए गए थे। सबसे पहले दैनिक भास्कर ने ही इस मुद्दे को प्रकाशित किया था।
इसके बाद से यहां जिला प्रशासन एक्टिव हो गया। अब रविवार रात को प्रशासन ने श्रृंगवेरपुर घाट पर रातों-रात जेसीबी और मजदूर लगाकर शवों के निशान मिटा डाले। घाट पर लोगों ने अपने प्रियजनों के शवों की पहचान के लिए जो बांस और चुनरियों से निशान बनाए थे, वो अब पूरी तरह गायब हैं। अब श्मशान घाट के एक किलोमीटर दायरे में सिर्फ बालू ही बालू नजर आ रही है।
स्थानीय लोगों को भी नहीं लगी भनक
बताया जा रहा है कि प्रशासन ने ये काम इतने गोपनीय तरीके से करवाया कि स्थानीय लोगों को भी भनक नहीं लगी। भोर तक प्रशासनिक अमला वहां डेरा डाले रहा। लेकिन जब भास्कर ने अधिकारियों से इस बारे में पूछा तो उन्होंने कुछ भी बोलने से मना कर दिया। उलटा भास्कर रिपोर्टर से पूछ लिया कि किसने शवों की पहचान मिटायी है?
एसपी बोले- निशान हटाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे
प्रयागराज के एसपी गंगापर धवल जायसवाल का कहना है कि श्रृंगवेरपुर में शवों से निशान कैसे और किसने हटवाए, इसकी जांच की जाएगी। जो दोषी होगा उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।
दो दर्जन मजदूर और जेसीबी लगाई गई थी…
श्रृंगवेरपुर घाट पर पुरोहित का करने वाले ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि यह काम करने के लिए करीब दो दर्जन मजदूरों को लगाया गया था। इसके अलावा दो जेसीबी भी लगाई गई थी। जो लकड़ी, बांस और कपड़े, चुनरी, रामनामी शवों से उठाई गई, उसे ट्रॉली में भरकर कहीं और ले जाया गया। बाद में उसे जला दिया गया।
सुबह पुरोहितों ने देखा तो मैदान साफ था
घाट पर बने मंदिरों में रहने वाले पुरोहित जब सुबह गंगा स्नान को जाने लगे तो देखा पूरा मैदान साफ था। शवों पर से निशान गायब थे। शवदाह का काम करने वाले एक व्यक्ति ने बताया कि शवों की पहचान मिटाने के पीछे प्रशासन की क्या मंशा है, यह तो वही जाने। लेकिन यह ठीक नहीं हुआ।
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