उत्तर प्रदेश विधानसभा में मानसून सत्र के तीसरे दिन आज बुधवार (13 अगस्त) को श्री बांके बिहारी मंदिर न्यास विधेयक, 2025 समेत तीन विधेयक पेश किये गये.
श्री बांके बिहारी मंदिर न्यास विधेयक, 2025 में न्यासी बोर्ड के गठन का प्रावधान किया गया है, जिसके न्यासियों की राज्य सरकार द्वारा नियुक्ति का प्रस्ताव रखा गया है. विधेयक के अनुसार, बोर्ड में 11 मनोनीत और सात पदेन सदस्य शामिल होंगे.
विधेयक के अनुसार, नामित सदस्यों में वैष्णव परंपराओं, संप्रदायों या पीठों से संबंधित तीन प्रतिष्ठित व्यक्ति, सनातन धर्म की अन्य परंपराओं, संप्रदायों एवं पीठों से संबंधित तीन प्रतिष्ठित व्यक्ति (संत, मुनि, गुरु, विद्वान, महंत, आचार्य आदि) शामिल हो सकते हैं.
स्वामी श्री हरिदास जी के वंशज भी बनगें सदस्य
इसके अलावा सनातन धर्म की किसी भी शाखा या संप्रदाय से संबंधित ऐसे तीन व्यक्ति भी इसमें शामिल हो सकते हैं जो शिक्षाविद, विद्वान, उद्यमी, समाजसेवी आदि हों. मंदिर में सेवायत गोस्वामी परंपरा से दो ऐसे सदस्य नामित किए जाएंगे जो स्वामी श्री हरिदास जी के वंशज हों.
इस विधेयक में प्रावधान किया गया है कि मथुरा का जिलाधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, नगर आयुक्त, उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद का मुख्य कार्यपालक अधिकारी, उत्तर प्रदेश सरकार के धर्मार्थ विभाग का एक अधिकारी, श्री बांके बिहारी जी मंदिर न्यास का मुख्य कार्यपालक अधिकारी और राज्य सरकार द्वारा न्यास के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए नियुक्ति किया गया कोई सदस्य इस न्यासी बोर्ड के पदेन सदस्य होंगे.
870 वर्ग मीटर में फैला हुआ है श्री बांके बिहारी मंदिर
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर से प्रस्तावित विधेयक के उद्देश्य और कारणों पर प्रकाश डालते हुए कहा गया कि मथुरा जिले के वृंदावन नगर में स्थित श्री बांके बिहारी मंदिर एक प्राचीन एवं विश्व प्रसिद्ध मंदिर है जहां प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं. यह मंदिर लगभग 870 वर्ग मीटर में फैला हुआ है जिसमें से लगभग 365 वर्ग मीटर का उपयोग दर्शनीय प्रांगण के रूप में किया जाता है. इसमें बताया गया कि श्री बांके बिहारी जी मंदिर तक पहुंचने का मार्ग अत्यंत संकरा होने की वजह से श्रद्धालुओं और आगंतुकों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ता है.