- अशोक पाण्डेय ‘अनहद’ यूपी का हिन्दी जगत का असली हीरो
- ‘सप्तम -सोपान’ अनहद जी की सातवीं कृति
- गद्य के क्षेत्र में भी आपका कोई सानी नहीं है
- नोएडा के विनीता पब्लिशिंग हाउस ने प्रकाशित किया है
- पुस्तक 108 पृष्ठों की हार्ड बाउंड एवम आकर्षक
(www.arya-tv.com)भारतीय हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में साहित्यकार अशोक पाण्डेय ‘अनहद’ का नाम बहुत ही सम्मान के साथ लिया जाता है। जनपद सुल्तानपुर उत्तर प्रदेश के अहदा गांव में जन्में अशोक पाण्डेय ‘अनहद’ की पकड़ कविता की अनेक प्रचलित विधाओं में तो है ही गद्य के क्षेत्र में भी आपका कोई सानी नहीं है यह बात सिद्ध करती है वर्ष 2018 में आई आपकी गद्य पुस्तक ओंकारेश्वर से ‘अमरनाथ’ जो कि एक यात्रा वृत्तांत है।जिसे अमेजॉन आदि माध्यम से पाठकों ने हाथों हाथ लिया।
प्रस्तुत पुस्तक ‘सप्तम -सोपान’ अनहद जी की सातवीं कृति है और यह इनके धारदार मुक्तकों का एक संग्रह है,जिसे नोएडा के विनीता पब्लिशिंग हाउस ने प्रकाशित किया है।पुस्तक 108 पृष्ठों की हार्ड बाउंड एवम आकर्षक है।
आवरण पर ही प्रकाशित अनहद जी का ये मुक्तक इनका और इनके आत्मविश्वास का परिचय बखूबी दे रहा है
बाद अपने जब सुहानी प्रात होगी।
हम नहीं होंगे हमारी बात होगी।
छाप यूँ कुछ छोड़ जायेंगे धरा पर,
याद अपनी युगों तक दिन रात होगी।।
पुस्तक के मुक्तक रूपी काव्य हृदय को झकझोर देने वाले हैं। राष्ट्रीयता इन मुक्तकों में कूट कूटकर भरी है। समसामयिक विषयों पर तो अनेक मुक्तक हैं जो जन मानस में चेतना जगाने। इन सक्षम हैं।
अनहद जी मंचों के भी बड़े लोकप्रिय कवि के रूप में जाने और बुलाये जाते हैं। देश प्रदेश से शताधिक पुरस्कार आपको प्राप्त हैं।अनहद जी की तीन पुस्तकें प्रकाशनाधीन हैं। व्यवहार से अनहद जी बहुत ही मृदुभाषी स्वाभाव के हैं।