अयोध्या में आयोजित सीएसआर कॉन्क्लेव के दौरान उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने सरकारी अफसरों की कार्यशैली पर तीखा कटाक्ष किया. इस दौरान उन्होंने सरकारी व्यवस्था में देरी पर सवाल उठाया है.
उन्होंने कहा कि ‘राम मंदिर के दर्शन हो जाते हैं, लेकिन एक फाइल के दर्शन करने के लिए लगातार एक टेबल से दूसरे, दूसरे से तीसरे, तीसरे से चौथे और चौथे से पांचवे टेबल तक घूमना पड़ता है.’
राज्यपाल ने धीमी प्रक्रिया पर जताई नाराजगी
राज्यपाल ने इस बयान के ज़रिए साफ तौर पर नौकरशाही में धीमी प्रक्रिया पर नाराजगी जताई. उन्होंने कहा कि जब कोई फाइल किसी कार्यालय में जाती है तो सबसे पहले नीचे का अधिकारी उसमें कमियां ढूंढता है.
जब उन खामियों को ठीक कर दिया जाता है, तब वह फाइल अगले टेबल पर जाती है, जहाँ फिर से कोई और कमियां निकाल ली जाती हैं. यह प्रक्रिया कई स्तरों तक चलती रहती है.
अधिकारियों को दी यह नसीहत
उन्होंने कहा कि उच्च अधिकारियों की ज़िम्मेदारी है कि जब फाइल उनके पास पहुंचे, तो पहले ही यह सुनिश्चित किया जाए कि जो अधिकारी नीचे बैठा है, वह सभी खामियों को एक बार में चिह्नित कर उसे पूरा कराए. हर टेबल पर जाकर नई कमी निकालने से विकास की गति बाधित होती है और आम जनता को योजनाओं का लाभ समय पर नहीं मिल पाता.
राज्यपाल का यह बयान केवल प्रशासनिक व्यवस्था की आलोचना नहीं, बल्कि सुधार का स्पष्ट संदेश भी था. उन्होंने यह भी कहा कि जब तक ज़िम्मेदारी के साथ पारदर्शिता नहीं लाई जाएगी, तब तक योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन संभव नहीं है.
राज्यपाल ने छेड़ दिया गंभीर विषय
इस कार्यक्रम में आंगनबाड़ी भवनों के निर्माण और बच्चों के लिए प्री-स्कूल किट्स उपलब्ध कराने जैसे कई जनहित योजनाओं की भी घोषणा हुई, लेकिन राज्यपाल की टिप्पणी ने सरकारी व्यवस्था की कमज़ोरियों को लेकर गंभीर विषय छेड़ दिया है.