(www.arya-tv.com) यह कहानी 20 साल की सिविल इंजीनियर रोजी बेहरा की है, जो कॉलेज की बकाया फीस भरने के लिए मनरेगा में मजदूरी कर रही है। रोजी, ओडिशा के पुरी जिले में चैनपुर पंचायत के अंतर्गत आने वाले गोरादीपीड़ा गांव की रहने वाली है। वह पिछले तीन हफ्ते से भी ज्यादा वक्त से महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत बनने वाली सड़क परियोजना में मिट्टी उठाकर ले जाने का काम कर रही है, ताकि डिप्लोमा प्रमाण पत्र हासिल करने के लिए 24,500 रुपये की राशि जमा हो सकें।
न्यूज एजेंसी ‘एएनआई’ से बातचीत करते हुए रोजी ने बताया कि उनके पास इतने पैसे नहीं है कि कॉलेज से अपनी डिग्री ले सकें। उनका कहना है, साल 2019 में सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा पूरा करने के बाद मैं स्नातक डिग्री के लिए फंड इकट्ठा नहीं कर पाई। मुझे डिप्लोमा स्कूल में 24,500 रुपये की राशि जमा करानी है। इसी वजह से मैं मजदूरी कर रही हूं।
रोजी कहती हैं, मैं हरिजन लड़की हूं। अनुसूचित जाति वर्ग से होने की वजह से सरकार मेरी पूरी कॉलेज फीस भर रही है। लेकिन, दिक्कत यह है कि इसमें हॉस्टल और बस की फीस शामिल नहीं थी। हॉस्टल और बस की फीस भरने के लिए मुझे अपने परिवार के साथ मजदूरी करनी पड़ रही है, ताकि पैसे इकट्ठा कर सकूं। मेरे साथ ही मेरी बहनें, दादा और माता-पिता भी मजदूरी करते हैं।