प्रयागराज।(www.arya-tv.com) प्रदेश की विभिन्न लेबर कॉलोनियों में रहने वाले परिवारों को मकान पर मालिकाना हक दिलाए जाने की प्रक्रिया तेज हो गई है। श्रमायुक्त की अध्यक्षता में समिति गठित किए जाने पर शासन की मुहर लगने की बात कही जा रही है। दावा किया जा रहा है कि शासन ने आख्या मांगी है, जिसके आधार पर मालिकाना हक के संबंध में फैसला लिया जाएगा। वैसे उपश्रमायुक्त राकेश द्विवेदी ने ऐसी किसी पहल से अनभिज्ञता जताई है। कहा कि अगर कोई पत्र आया होगा तो वह श्रमायुक्त को मिला होगा और वह लखनऊ में बैठते हैं।
देश की आजादी के बाद औद्योगिक विकास के क्रम में 60 के दशक में नैनी में तमाम उपक्रम स्थापित किए गए थे। त्रिवेणी स्ट्रक्चरल्स लिमिटेड, भारत पंप एंड कंप्रेसर्स लिमिटेड, जनरल इलेक्ट्रिक कंपनी, स्वदेशी काटन मिल, इंडियन टेलीफोन इंडस्ट्रीज और टरबाइन बनाने वाली त्रिवेणी इंजीनियङ्क्षरग वक्र्स इनमें प्रमुख थे। यहां काम करने वाले मजदूरों के आवास की सुविधा के लिए लेबर कालोनियां बनाई गईं। लगभग 500 आवास बनाए गए थे। कालांतर में नई औद्योगिक नीति के चलते कंपनियों पर ताले लगते रहे। इससे बेरोजगारी तो बढ़ी ही, सिर से छत वापस लिए जाने की आशंका से कॉलोनीवासी परेशान हो गए थे।
आवास बचाने के लिए श्रमिक कल्याण समिति का गठन कर मकान पर मालिकाना हक की मांग उठाई जाने लगी। बीते साल 12 अगस्त को श्रमिक कल्याण समिति के अध्यक्ष शिव शंकर दीक्षित और सचिव विनय मिश्रा ने प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र भेजकर न्याय की गुहार लगाई। पीएमओ ने यह पत्र राज्य सरकार को भेजा था।
हाल ही में आठ जनवरी को अपर श्रमायुक्त अंजू लता ने समिति के पदाधिकारियों को पत्र के जरिए बताया है कि प्रदेश के विभिन्न जनपदों में स्थापित लेबर कॉलोनी के अध्यासियों को मालिकाना हक और आवासों की समस्या हल किए जाने के संबंध में शासन को वृहद कार्ययोजना भेजी गई थी। शासन ने श्रमायुक्त की अध्यक्षता में समिति गठित कर प्रकरण के समस्त तथ्यों की जांच कर आख्या मांगी है। अभी कोई फैसला नहीं हुआ है लेकिन श्रमिक कल्याण समिति के पदाधिकारियों से मिली जानकारी के बाद कॉलोनीवासियों में फिलहाल उम्मीदें जग गई हैैं।