(www.arya-tv.com) पटना में 23 जून को हुए विपक्षी दलों की बैठक के बाद यूपी में फूट के साथ नए गठबंधन के संकेत बन रहे हैं। अखिलेश यादव के अलावा कोई भी मुख्य विपक्षी दल का नेता पटना की बैठक में शामिल नहीं हुआ। BSP ने जहां एक तरफ विपक्षी दलों की एकता पर सवाल उठाए तो वहीं रालोद (RLD) और सुभासपा जैसी पार्टियों ने इस गठबंधन में न शामिल होने के बहाने भी बताएं।
फिलहाल मौजूदा हालात में यूपी में विपक्षी दलों के गठबंधन में दरार के संकेत साफ नजर आ रहे हैं। राहुल और अखिलेश यादव की पटना में मुलाकात के बाद चर्चाएं यह भी शुरू हो गई हैं क्या 2017 की तरह सपा एक बार फिर कांग्रेस के साथ हाथ मिलाएगी।
फिलहाल बसपा (BSP) यूपी में अकेले चुनाव लड़ेगी। वहीं दूसरी तरफ पश्चिमी यूपी में चुनावी जमीन तैयार करने में जुटी आरएलडी-कांग्रेस के साथ मिलकर यूपी में नए गठबंधन भी बना सकती है।
रालोद (RLD) प्रमुख जयंत चौधरी ने पश्चिमी यूपी की 12 सीटों पर ताल ठोकने और BJP को घेरने की तैयारी कर ली है। किसान आंदोलन के बाद पश्चिमी यूपी के बदले समीकरण में जयंत चौधरी 12 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने जा रहें हैं, जिनमें बागपत , कैराना, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, नगीना, अमरोहा, गाजियाबाद, बुलंदशहर, मथुरा, हाथरस और फतेहपुर सीकरी लोकसभा शामिल है।
इन सभी सीटों पर जयंत ऐसे प्रत्याशी उतारने जा रहें हैं जो BJP प्रत्याशी का मुकाबला कर सकें। सपा-आरएलडी में गठबंधन है। वहीं जयंत गठबंधन के साथ या फिर बिना गठबंधन को 12 सीट लाने का प्लान तैयार कर रहे हैं। जयंत का समरसता अभियान भी इस प्लान का हिस्सा है।
रालोद (RLD) की सपा से नाराजगी की दो वजह
- पश्चिमी यूपी में पकड़ रखने वाले रालोद (RLD) कि सपा और अन्य पार्टियों से नाराजगी की वजह सामने आ रही है कि क्षेत्रीय दलों को अन्य पार्टियों के तरीके से बराबर की तवज्जो नहीं दी जा रही है।
- राजनीतिक जानकारी अभी मानते हैं कि आरएलडी 2024 के समीकरण में खुद को चौधरी चरण सिंह वाली पार्टी बनाने और राष्ट्रीय लोकदल का दोबारा से दबदबा पश्चिमी यूपी में बनाने के लिए वह अपनी पकड़ वाले क्षेत्र में मजबूत दिखना चाहती हैं। इसको लेकर निकाय चुनाव में भी उन्होंने नाराजगी जताई थी।जयंत जिन 1500 गांवों का मिशन लेकर BJP के खिलाफ और RLD के पक्ष में माहौल बनाने निकले हैं, वो भी इसी प्लान 12 का हिस्सा है। हालांकि रालोद के इस प्लान 12 पर सपा के नेताओं का अलग तर्क भी है। फिलहाल सवाल यह है कि विपक्षी दलों की बैठक में न पहुंचने के बाद रालोद (RLD) क्या पश्चिमी यूपी में कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ सकती है।