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लखनऊ। स्वच्छ भारत मिशन का सपना साकार करने के लिए सरकार पूरी कोशिश कर रही है। तमाम मशीनरी से लेकर मैन पावर तक हर सुविधा दी जा रही है बावजूद इसके जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। लखनऊ को ओडीएफ डबल प्लस का दर्जा दे दिया गया। वह भी तब जब यहां आज भी आधे से ज्यादा शौचालयों का मल खुली नाली में बह रहा है।
क्या कहना है पूर्व प्रभारी पंकज भूषण का
एसबीएम के पूर्व प्रभारी पंकज भूषण का कहना है कि यह जिम्मेदारी उनके पास लंबे समय तक रही है। जब लखनऊ के मेयर उदयराज सिंह थे तभी उनके सामने लखनउ को ओडीएफ प्लस करवाने के लिए प्रस्ताव रखा गया था, लेकिन उन्होंने अधिकारियों से दो टूक कहा था कि जब लखनउ अभी तक ओडीएफ के मानको को पूरा ही नहीं करता तो फिर उसे ओडीएफ का दर्जा कैसे मिल सकता हैं और यह बात ठंडे बस्ते में डाल दी गई थी।
हालांकि समय बदला और नगर आयुक्त भी बदल गए। बिजनौर के सीडीओ रहे नए नगर आयुक्त इंद्रमणि त्रिपाठी को लखनऊ का नगर आयुक्त बना दिया गया। फिर क्या वहीं दूसरी तरफ पंकज भूषण से एसबीएम का प्रभार लेकर मुख्य पशु चिकित्साधिकारी अरविंद कुमार राव को दे दिया गया।
राव ने महज 6 महीने में ही ऐसा जादू चलाया कि जो काम सालों में पंकज भूषण नहीं कर पाए वो उन्होंने कर दिया। पलक झपकते ही उन्होंने लखनऊ को पहले ओडीएफ प्लस और फिर डबल प्लस का दर्जा दिलवा दिया। हालांकि वह भी यह जानते हैं कि इसमें कितनी सच्चाई है। लेकिन उनका कहना है कि इस मिशन की जिम्मेदारी उन्हें हालही में मिली है। जो कुछ पूछताछ होगी वह पूर्व प्रभारी यानी पंकज भूषण से होगी।
वहीं पंकज भूषण का कहना है कि जब तक हमने इस योजना का कार्य संभाला तब तक सब ठीक था। हमने न तो अपने कार्यकाल के दौरान लखनऊ को ओडीएफ प्लस और न ही ओडीएफ डबल प्लस करवाया। फिर हमसे कौन सी पूछताछ होगी। जिसने लखनऊ को डबल प्लस का खिताब दिलवाया उससे पूछा जाएगा कि आखिर किस आधार पर आपने ऐसा किया।
एके राव का यह भी कहना है कि क्वालिटी काउंसिल आॅफ इंडिया की टीम ने बाकायदा सर्वे किया है। सब कुछ देखने के बाद ही उसने इसे अप्रूवल दिया है। मगर वह यह नहीं बता रहे कि टीम ने सिर्फ कुछ शौचालयों का निरीक्षण किया था। बाकी फाइलिंग के आधार पर आपको नंबर दिए हैं।
जब फाइलिंग की जांच होगी तो फिर जवाब प्रभारी को ही देना होगा। बहरहाल इस मालमे में जिम्मेदार एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं। वहीं नगर आयुक्त भी इस मामले पर मौन हैं।