(www.arya-tv.com)इंडियन एयरफोर्स ने राफेल लड़ाकू विमानों की फ्लीट को तेजी से अपग्रेड कर रही है। देश की जरूरतों के हिसाब से किए जा रहे इस अपग्रेड से एयरफोर्स को मजबूती मिलेगी। इन्हें और भी घातक बनाने के लिए इंडिया स्पेसिफिक इन्हैंसमेंट (ISE) के हिसाब से बदलाव किए गए हैं।
अपग्रेड राफेल लड़ाकू विमानों की पहली खेप मंगलवार को पहुंची। इसमें जरूरत के मुताबिक, 13 तरह के बदलाव किए गए हैं। जिसमें हार्डवेयर ट्विस्ट के साथ टॉप नॉच पर एयर टू एयर मिसाइल फायर करने की सहूलियत भी शामिल है।
सितंबर 2016 में फ्रांस के साथ हुई 59 हजार करोड़ रुपए की डील के तहत तीन राफेल जेट आने से अब इनकी कुल संख्या 35 हो गई है। आखिरी और 36वां राफेल अप्रैल में भारत आएगा। इस आखिरी विमान की ISE टेस्टिंग फ्रांस में हुई है।
अपग्रेड के लिए एक फ्रांसीसी टीम भारत में मौजूद है
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, पहले डिलीवर किए गए विमानों के हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर अपग्रेड के लिए एक फ्रांसीसी टीम भारत में मौजूद है। ये टीम हर महीने दो से तीन विमानों को रिक्वायरमेंट के हिसाब से अपग्रेड करेगी।
इन बदलावों में रडार एन्हांसमेंट, इजरायल के हेलमेट-माउंटेड डिस्प्ले और लो-बैंड जैमर से लेकर टोड डिकॉय सिस्टम और 10 घंटे की फ्लाइट डेटा रिकॉर्डिंग की सुविधा शामिल हैं। इन बदलावों से लद्दाख जैसे ऊंचाई वाले इलाकों में मजबूती मिलेगी। लद्दाख जैसे हाई एल्टीट्यूड रीजन के लिए कोल्ड स्टार्ट इंजन कैपेबिलटी भी बढ़ाई गई हैं।
क्रूज मिसाइलें लगी हैं
9000 किलो वजन की आर्म्स कैपिसिटी वाले राफेल में पहले से ही 300 किलोमीटर रेंज से अधिक रेंज वाली हवा से जमीन पर मार करने वाली क्रूज मिसाइलें लगी हैं। वहीं, 120 से 150 किलोमीटर की स्ट्राइक रेंज वाली मीटियॉर मिसाइलों से लैस होने के बाद यह और भी घातक हो जाएगा। जुड़वां इंजन वाला राफेल मिड एयर रिफ्यूलिंग के बिना 780 से 1,650 किलोमीटर की लड़ाकू रेंज कवर कर सकता है।
परमाणु हमला करने में सक्षम है राफेल
- राफेल डीएच (टू-सीटर) और राफेल ईएच (सिंगल सीटर), दोनों ही ट्विन इंजन, डेल्टा-विंग, सेमी स्टील्थ कैपेबिलिटीज के साथ चौथी जनरेशन के फाइटर हैं।
- ये न सिर्फ फुर्तीला है, बल्कि इससे परमाणु हमला भी किया जा सकता है।
- इस फाइटर जेट को रडार क्रॉस-सेक्शन और इन्फ्रा-रेड सिग्नेचर के साथ डिजाइन किया गया है। इसमें ग्लास कॉकपिट है।
- इसमें एक कम्प्यूटर सिस्टम भी है, जो पायलट को कमांड और कंट्रोल करने में मदद करता है।
- इसमें ताकतवर एम 88 इंजन लगा हुआ है। राफेल में एक एडवांस्ड एवियोनिक्स सूट भी है।
- इसमें लगा रडार, इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेशन सिस्टम और सेल्फ प्रोटेक्शन इक्विपमेंट की लागत पूरे विमान की कुल कीमत का 30% है।
- इस जेट में आरबीई 2 एए एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड एरे (AESA) रडार लगा है, जो लो-ऑब्जर्वेशन टारगेट को पहचानने में मदद करता है।
- राफेल सिंथेटिक अपरचर रडार (SAR) भी है, जो आसानी से जाम नहीं हो सकता। जबकि इसमें लगा स्पेक्ट्रा लंबी दूरी के टारगेट को भी पहचान सकता है।
- किसी भी खतरे की आशंका की स्थिति में इसमें लगा रडार वॉर्निंग रिसीवर, लेजर वॉर्निंग और मिसाइल एप्रोच वॉर्निंग अलर्ट हो जाता है और रडार को जाम करने से बचाता है।
- राफेल का रडार सिस्टम 100 किमी के दायरे में भी टारगेट को डिटेक्ट कर लेता है।
- राफेल में आधुनिक हथियार भी हैं। जैसे- इसमें 125 राउंड के साथ 30 एमएम की कैनन है। ये एक बार में साढ़े 9 हजार किलो का सामान ले जा सकता है।