(www.arya-tv.com) आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) स्कूली बच्चों को रट्टू तोता बनने से रोकेगा। भारी-भरकम आंकड़ों के याद रखने के झंझट से भी मुक्ति मिल जाएगी। छात्र का पूरा समय और एनर्जी क्रिएटिविटी, एनालिसिस और एक्स्ट्रा एक्टिविटीज में लगेगा। काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के महिला महाविद्यालय (MMV) में AI पर शुरू हुए एक ट्रेनिंग प्रोग्राम ये जानकारियां दी गईं। यह कार्यक्रम आज भी जारी है।
‘डिकोडिंग AI इन ह्यूमैनिटी’ थीम पर शुरू हुए इस कार्यक्रम में जर्मनी के यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोन के डॉ. रोजर फोर्नोफ ने कहा कि AI इंसान की कैपेबिलिटी को बढ़ाएगा। AI की आपसी प्रतिस्पर्धा मिलने के बाद इंसान अपनी ताकत को और बढ़ाएगा। अब AI को स्कूल और यूनिवर्सिटी लेवल पर एक अलग विषय के तौर पर पढ़ाया जाना चाहिए। क्योंकि, AI बहुत तेजी से हर इंडस्ट्री में स्वीकार किया जा रहा है।AI में अभी तक मेमोरी, इंटेलीजेंस, क्विक रिजल्ट जैसी क्षमताएं थीं, अब AI में लॉजिक, इमोशन और क्रिएटिविटी भी देखने को मिल जाएगा। यदि किसी शो में कोई वाद्य यंत्र बजा रहा है तो AI उसे वाच करने के बाद खुद भी उसी तर्ज पर वाद्य यंत्रों को बजा सकेगा। यानी कि अब AI हर वो काम कर सकता है, जो कि इंसान के बलबूते का है। बेबी केयर, खाना पकाना, फाइल या असाइमेंट बनाना जैसे हजारों काम AI से हो रहा है।
बच्चों में क्रिएटिविटी और इंडीपेंडेंट थिंकिंग होगी डेवलप
BHU जर्मन स्टडीज की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. शिप्रा थोलिया ने कहा कि एजुकेशन सिस्टम का फिक्स पैटर्न रहता है कि स्टूडेंट्स को हमेशा रटा-रटाकर आंकड़ों को याद कराया जाता है। बच्चों का ज्यादा टाइम और एनर्जी इसी में खराब हो जाता है। हम उनमें काेई क्रिएटिविटी और इंडीपेंडेंट थिंकिंग नहीं डेवलप नहीं कर पा रहे हैं। ये सारा काम AI ही कर लेगा। हम बच्चों की बाकी क्वालिटीज को बाहर ला सकेंगे। वह ज्यादा स्मार्ट होगा। यदि कोई बच्चा टीचर से बार-बार सवाल पूछ रहा है तो कई बार टीचर इरीटेट हो जाते हैं, जबकि AI के साथ ऐसी समस्या नहीं है।
भारत में डिजिटल पेमेंट जर्मनी से कई गुना ज्यादा
जर्मन यूनिवर्सिटी की ओर से आईं अमीषा जैन ने कहा कि वे लोग भारत के डिजिटल इंडिया प्रोग्राम से काफी प्रभावित हैं। उन्हें यह सीखना है कि भारत में वर्चुअल पेमेंट और बाकी के ऑनलाइन वर्क इतनी तेज कैसे हो रहा है। हालांकि, डेटा प्रोटेक्शन को लेकर भारत की पब्लिक चिंतित नहीं है। जर्मनी में डिजिटल पेमेंट करने के लिए आईडी कार्ड देना या पैन कार्ड देने में गुरेज किया जाता है, जबकि भारत में आधार कार्ड और पैन कार्ड हर जगह ही दे दिया जाता है। स्टोर से सामान खरीद रहें हैं, तो 10% छूट के लिए वहां पर मोबाइल नंबर दर्ज करा दिया जाता है। जर्मनी में ऐसा नहीं देखने को मिलता है।
AI से हो रही डिजिटल मदरिंग और ह्यूमन इंजीनियरिंग
डिजिटल मदरिंग और ह्यूमन इंजीनियरिंग को लेकर भी यह काफी क्रांतिकारी कदम है। जिन वर्किंग पैरेंट्स के पास बच्चों के केयर का टाइम नहीं है, तो इसमें भी AI का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसे डिजिटल मदरिंग भी कहा जा रहा है। यदि आप कोई AI बेस्ड ऐप को पेड़ के पास लेकर जाएं तो उस पेड़ के बारे में हर एक जानकारियां मिल जाएंगी। जबकि, इस काम के लिए हमें तमाम किताबों और प्रैक्टिकल वर्क्स से गुजरना होगा। वहीं, मेडिकल सेक्टर में अब डिसीजन भी ले सकेगा। जैसे कि मरीज को भर्ती लेना या डिस्चार्ज, सर्जरी या फिर बेड रेस्ट जैसे सलाह भी AI ही देगा। साथ ही