लखनऊ (www.arya-tv.com) उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आर्थिक अनियमितता के एक और बड़े मामले में एफआइआर दर्ज कर दोषियों पर कार्रवाई का निर्देश दिया है। जल निगम भर्ती घोटाले के बाद अब इस विभाग में हुई एक और धांधली सामने आई है। बसपा शासनकाल में पेयजल योजना में हुई 20.43 करोड़ रुपये से अधिक की धांधली के मामले में अब दोषी अफसरों पर कानूनी शिकंजा कसेगा। यूपी सरकार के निर्देश पर आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन (ईओडब्ल्यू) ने चित्रकूट के मऊ व बरगढ़ पेयजल योजना में हुई करोड़ों की अनियमितता के मामले में जल निगम के तत्कालीन अधीक्षण अभियंता आरके वाजपेयी, एके सिंह, आरके त्रिपाठी, गिरीश चंद्र व एमसी श्रीवास्तव समेत 22 आरोपितों के विरुद्ध एफआइआर दर्ज की है। यह एफआइआर ईओडब्ल्यू के लखनऊ सेक्टर के थाने में दर्ज कर विवेचना शुरू की गई है।
वर्ष 2010-11 व वर्ष 2011-12 में संचालित योजना का काम समय से पूरा नहीं किया गया था और उसमें धांधली की गई थी। शासन ने पूर्व में इस मामले की जांच ईओडब्ल्यू को सौंपी थी। जांच में अनियमितता के साक्ष्य मिलने के बाद प्रकरण में एफआइआर दर्ज किए जाने की सिफारिश की गई थी, जिसे शासन ने मंजूरी दे दी डीजी ईओडब्ल्यू डॉ.आरपी सिंह ने बताया कि प्रकरण की जांच में सामने आया कि निर्माण कार्य में जल निगम की निर्माण एवं विद्युत यांत्रिक इकाई के साथ उप्र पावर कारपोरेशन के तत्कालीन अधिकारियों ने निर्माण कार्य में कोई रुचि नहीं ली थी। अनुबंधित फर्म मैसर्स जिंदल वाटर इंफ्रा इस्ट्रक्चर लिमिटेड व ठेकेदार नरेंद्र कुमार गुप्ता को धनराशि का भुगतान कर कार्य कराने में अधिकारियों व फर्म ने कोई रुचि नहीं ली। बिना वाटर की सप्लाई हुए ही बड़ी संख्या में वाटर मीटर की खरीद की गई। जांच में प्रथम दृष्टया 20,43,91,616 रुपये की शासकीय धनराशि के गबन की बात सामने आई है।