जावेद अख्तर का अब नई पीढ़ी के स्टार्स पर कटाक्ष, बोले-‘हालत बड़ी दयनीय है इनकी, हिंदी में नहीं…’

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(www.arya-tv.com)जावेद अख्तर अपने बयानों को लेकर अक्सर चर्चाओं में रहते हैं. अपने विचारों को लोगों के सामने रखने से परहेज भी नहीं करते हैं. हाल ही में वह फिर एक बार सुर्खियों में हैं, क्योंकि उन्होंने नए स्टार्स की स्थिती को बहुत दयनीय बता डाली. हिंदी और उर्दू भाषा के प्रयोग के लिए उन्होंने कैसे प्याज का उदाहरण दिया और उन्होंने क्या कहा चलिए आपको बताते हैं…

रणबीर कपूर की ब्लाकबस्टर फिल्म ‘एनिमल’ और सालों पहले आया माधुरी दीक्षित का कल्ट क्लासिक गाना ‘चोली के पीछे क्या है’ पर अपने बयान से चर्चा में आए अनुभवी गीतकार-लेखक जावेद अख्तर ने अब नई पीढ़ी के स्टार्स पर तंज कसा है. पिछले दिनों उन्होंने ‘एनिमल’ और ‘कबीर सिंह’ जैसी फिल्मों पर तंज कसा था और इन फिल्मों के सक्सेस को खतरनाक बताया था. इसके साथ उन्होंने हिंदी सिनेमा के हिट गानों में एक ‘चोली के पीछे क्या है’ गाने पर भी नाराजगी जाहिर की थी. अब उन्होंने नए जमाने के स्टार्स पर कटाक्ष किया है.

जावेद अख्तर अपने बयानों को लेकर अक्सर चर्चाओं में रहते हैं. अपने विचारों को लोगों के सामने रखने से परहेज भी नहीं करते हैं. हाल ही में वह फिर एक बार सुर्खियों में हैं, क्योंकि उन्होंने नए स्टार्स की स्थिती को बहुत दयनीय बता डाली. हिंदी और उर्दू भाषा के प्रयोग के लिए उन्होंने कैसे प्याज का उदाहरण दिया और उन्होंने क्या कहा चलिए आपको बताते हैं.

सीडी देशमुख ऑडिटोरियम में आयोजित इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में ‘हिंदी और उर्दू: सियामीज़ ट्विन्स’ सेशन में उन्होंने अपने विचारों को रखा. उन्होंने कहा कि फिल्म इंडस्ट्री में आज हम ज्यादातर नए कलाकारों के लिए रोमन यानी अंग्रेजी स्क्रिप्ट में डायलॉग्स लिखते हैं, क्योंकि वे कुछ और नहीं पढ़ ही नहीं सकते हैं. हालात बड़ी दयनीय है

जावेद अख्तर ने आगे कहा कि किसी भी भाषा का किसी धर्म से लेना-देना नहीं होता है. अधिकारियों को यह स्वीकार किए 200 साल हो गए हैं कि हिंदी और उर्दू अलग-अलग हैं, लेकिन वे हमेशा एक थे. तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान के बंगालियों ने कहा, ‘हम मर जाएंगे लेकिन उर्दू नहीं पढ़ेंगे, हमें एक और देश (बांग्लादेश) चाहिए ).’ ये 10 करोड़ लोग कौन थे, क्या ये उर्दू बोलते थे?जावेद अख्तर ने कहा कि क्या पश्चिम एशिया में अरब उर्दू बोलते हैं? उर्दू केवल भारतीय उपमहाद्वीप की भाषा है. इसका मजहब से कोई लेना-देना नहीं है. आप तमिलनाडु जाकर लोगों से कहिए कि हिंदी हिंदुओं की भाषा है. फिर देखिये, क्या होता है?उन्होंने हिंदुस्तानी शब्दों के एक शब्दकोश की जरूरत का जिक्र करते हुए कहा कि हिंदी का इस्तेमाल किया बिना आप उर्दू नहीं बोल सकते. उन्होंने कहा कि एक फिल्म लेखक होने के नाते वह जानते हैं कि हिंदी या उर्दू के शब्द कब उपयोग करना है.न्होंने आगे कहा, ‘इसीलिए मैं हिंदुस्तानियों के लिए हिंदुस्तानी लिख रहा हूं. मैं उर्दू वालों और हिंदी वालों के लिए नहीं लिख रहा हूं, मैं हिंदुस्तानियों के लिए लिख रहा हूं. जिस दिन हिंदुस्तानियों की रुचि विकसित हो जाएगी, उस दिन भाषा अपने आप समझ आ जाएगी.’