आदित्य बिड़ला सन लाईफ म्युचुअल फंड ने उत्तर प्रदेश के लिए पार्टनर प्रायोरिटी डेस्क लाॅन्च किया

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(www.arya-tv.com) लखनऊ, 04 नवंबर, 2019ः आदित्य बिड़ला सन लाईफ म्युचुअल फंड ने उत्तर प्रदेश में पार्टनर प्रायोरिटी डेस्क (पीपीडी) चालू किया। पार्टनर प्रायोरिटी डेस्क, उत्तर प्रदेश में आदित्य बिड़ला सन लाईफ म्युचुअल फंड के डिस्ट्रिब्यूटर पार्टनर्स के लिए केंद्रित यह एक अनोखा सर्विस काउंटर है। पार्टनर प्रायोरिटी डेस्क, डिस्ट्रिब्यूशन चैनल्स की सर्विसिंग आवश्यकताओं के लिए वन-स्टाॅप साॅल्यूशन है।

यह डिस्ट्रिब्यूशन पार्टनर्स के सेवा संबंधी अनुरोधों का त्वरित एवं सटीक निपटारा करता है। म्युचुअल फंड्स निवेशकों के निवेश हेतु पसंदीदा साधन बन चुका है। निवेशकों की बढ़ती संख्या के चलते इंडस्ट्री के हुए विकास के परिणामस्वरूप बड़े-बड़े ट्रांजेक्शंस होने लगे हैं। एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (एएमएफआई) द्वारा हाल ही में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत के म्युचुअल फंड इंडस्ट्री में राज्यों के अधिकतम योगदान की दृष्टि से उत्तर प्रदेश आठवें स्थान पर है। यह उत्तर प्रदेश में म्युचुअल फंड्स की बढ़ती पैठ को रेखांकित करता है।

इसके चलते यहां से भारी संख्या में सेवा संबंधी अनुरोध प्राप्त हुए हैं। इस इंडस्ट्री के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले, डिस्ट्रिब्यूशन पार्टनर्स को शानदार सेवा मानकों के सहारे की आवश्यकता है, चूंकि उन्हें काफी अधिक संख्या में निवेशकों को संभालना होता है।

पार्टनर प्रायोरिटी डेस्क के बारे में बोलते हुए, आदित्य बिड़ला सन लाईफ म्युचुअल फंड के सीईओ, श्री ए. बालासुब्रह्मण्यम ने कहा, ‘‘उत्तर प्रदेश में पार्टनर प्रायोरिटी डेस्क को लाॅन्च किया जाना हमारे डिस्ट्रिब्यूशन पार्टनर्स को सर्वोत्तम कोटि का अनुभव प्रदान करने के हमारे निरंतर प्रयास का हिस्सा है।

म्युचुअल फंड्स में प्रदेश के निवेशकों की लगातार बढ़ती रूचि के मद्देनजर, इस क्षेत्र के डिस्ट्रिब्यूशन पार्टनर्स को पीपीडी से भारी मदद मिलेगी और हमारे निवेशक और डिस्ट्रिब्यूशन पार्टनर्स को बेहतर अनुभव प्राप्त हो सकेगा।’’पीपीडी ने क्षेत्र के लिए विशिष्ट टोल-फ्री नंबर जारी किये हैं, ताकि सेवा अनुरोधों का समयबद्ध तरीके से निपटारा हो सके।

डेस्क ने रियल-टाइम प्रतिक्रिया प्रणाली भी लगाई है, ताकि प्रत्येक फोन काॅल के बाद डिस्ट्रिब्यूटर की प्रतिक्रिया मिल सके। इस प्रणालीबद्ध प्रतिक्रिया पद्धति से फंड हाउस को लगातार सुधार करने में मदद मिलेगी और डिस्ट्रिब्यूशन पार्टनर्स को बेहतर सेवा उपलब्ध कराई जा सकेगी।

क्रेडाई ने अपनी तरह के पहले राष्ट्रीय रेरा सम्मेलन में रियल एस्टेट से जुड़ी मुख्य समस्याओं का समाधान किया

रेरा रियल एस्टेट की षिकायतों के लिए होगा एक्सक्लुज़िव लीगल फोरम

व्यवहारिक परियोजनाओं को उनके लोन पर एकबारगी पुनर्गठन का विकल्प दिया जाएगा

लखनऊ, 4 नवम्बर, 2019ः 12500 सदस्यों, 21 राज्यों और 204 शहर स्तर के चैप्टर्स का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था क्रेडाई ने उत्तरप्रदेश रेरा द्वारा भारत सरकार एवं उत्तरप्रदेश सरकार के सहयोग से आयोजित पहले राष्ट्रीय रेरा सम्मेलन में सेक्टर के त्वरित विकास की योजनाओं के प्रयासों में सरकार को अपना समर्थन प्रदान किया। इस सम्मेलन ने प्राॅपर्टी डेवलपर्स, खरीददारों, विनियामक प्राधिकरणों एवं अन्य हितधारकों को ऐसा प्लेटफाॅर्म उपलब्ध कराया जहां उन्हें एक मंच पर आने और रेरा से जुड़ेे कानूनी ढांचे के सशक्तीकरण एवं रियल एस्टेट सेक्टर के विकास पर चर्चा करन का मौका मिला।

अपनी तरह के पहले इस दो दिवसीय सम्मेलन में रियल एस्टेट सेक्टर से जुड़े महत्वपूर्ण पहलुओं जैसे मौजूदा मुद्दों, सेक्टर के पुनरूत्थान के लिए विकास रणनीतियों तथा रेरा के सशक्तीकरण और इसे रियल एस्टेट से जुड़े सभी मामलों के लिए वन स्टाॅप समाधान बनाने के विषयों पर चर्चा की गई

क्रेडाई नेशनल के चेयरमैन जैक्से शाह ने रियल एस्टेट सेक्टर को संगठित एवं व्यवस्थित बनाने के लिए रेरा के प्रयासों की सराहना की, उन्होंने इस अवसर पर अपने विचार अभिव्यक्त करते हुए कहा ‘‘ ‘‘हम रेरा और इसके सदस्यों को बधाई देते हैं जिन्होंने रियल एस्टेट सेक्टर के सशक्तीकरण के लिए अथक प्रयास किए हैं। मौजूदा आर्थिक मंदी, लिक्विडिटी क्रन्च और एनसीएलटी में अनियिमित मामलों के कारण बढ़ती इन्साॅल्वेन्ट परियोजनाओं को देखते हुए, ज़रूरी है कि उद्योग जगत एकजुट होकर इस समस्याओं का समाधान करे।’’

क्रेडाई नेशनल के प्रेज़ीडेन्ट सतीश मगर ने कहा, ‘‘हम यूपी रेरा, भारत सरकार और उत्तरप्रदेश सरकार के प्रति आभारी हैं जिन्होंने यह मंच उपलब्ध कराया है जो रियल एस्टेट उद्योग एवं विनियामक प्राधिकरणों के प्रतिनिधियों को एक मंच पर आने और सेक्टर की मौजूदा समस्याओं के समाधान पर विचार-विमर्श का मौका प्रदान कर रहा है। आज देश भर में तकरीबन 450 रियल एस्टेट कंपनियां/ प्रोजेक्ट्स इन्साॅल्वेन्सी एवं बैंकरप्टसी कोड के तहत इन्साॅल्वेन्सी से जुड़ी समस्याओं से जूझ रहे हैं, जिसके चलते सेक्टर में तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई है। ऐसे में समस्याओं के समाधान के लिए रेरा में ज़रूरी संशोधन करना समय की मांग है।’’

उन्होंने कहा कि सेक्टर की मौजूदा स्थिति को देखते हुए निम्नलिखित कदम उठाने चाहिएः

वर्तमान में कम जीडीपी विकास एवं लिक्विडिटी क्रन्च की समस्याओं के चलते मांग में मंदी के कारण अच्छी परियोजनाओं पर भी असर पड़ रहा है, जिसके चलते रियल एस्टेट सेक्टर तनाव के दौर से गुज़र रहा है। सेक्टर के पुनरूत्थान के लिए ज़रूरी है कि सभी दीर्घकालिक व्यवहारिक परियोजनाओं के लिए बिना किसी देरी के ऋण के एकबारगी पुर्नगठन की प्रक्रिया शुरू की जाए।

रेरा अधिनियम का संशोधन कर इसे रियल एस्टेट षिकायतों के लिए एक्सक्लुज़िव लीगल फोरम बनाया जाएः रेरा अधिनियम पर आईबीसी को वर्चस्व देने से, रेरा अधिनियम को कानूनी अधिनियम बनाने का इरादा पूरा नहीं हो पाया है। रेरा को और सशक्त बनाया जा सकता है, जैसे अगर किसी मामलो में आवंटी वित्तीय लेनदार है, उसे रियल एस्टेट डेवलपर से कोई परेशानी है तो उसका पहला समाधान रेरा के पास हो।

रियल एस्टेट सेक्टर भारत में कृषि के बाद सबसे बड़ा नियोक्ता है जो भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 8 फीसदी का योगदान देता है। आने वाले समय में इस सेक्टर में तीव्र विकास की उम्मीद है, एक अनुमान के मुताबिक ये 2030 तक जीडीपी में 1 ट्रिलियन डाॅलन का योगदान देगा, जिसमें निजी क्षेत्र की भागीदारी बेहद महत्वपूर्ण है। ऐसे में 2022 तक ‘‘सबके लिए आवास’ के दृष्टिकोण को पूरा करने के लिए रेरा और रियल एस्टेट की भूमिका सर्वोपरि है।

रियल एस्टेट से जुड़ी हर परियोजना को 60 से 100 अनुमोदनों से होकर गुज़रना पड़ता है, जिसमें विभिन्न हितधारकों जैसे आर्कीटेक्ट, इंजीनियर, काॅन्ट्रेक्टर की भूमिका होती है, साथ ही रेरा की ओर से विश्वसनीयता की भी अपेक्षा रहती है। क्रेडाई ने रेरा से अनुरोध किया कि डेवलपर्स के साथ निष्पक्ष एवं उचित व्यवहार किया जाए, उनके लिए भरोसे और विश्वसनीयता से युक्त माहौल बनाया जाए।