ग्राम पंचायतों में विकास कार्यों के नाम पर वर्षों से धांधली होती आई है। ऑडिट में गड़बड़ी मिलने पर कार्रवाई नाम मात्र मामलों पर हुई है। इससे वर्ष 2011 से 2019 तक के करोड़ों रुपये की वित्तीय अनियमितता के मामले लंबित हैं।
सहकारी समितियां एवं पंचायत लेखा परीक्षा निदेशालय ने वर्ष 2011-12 के ऑडिट में एक प्रकरण में वित्तीय अनियमितता पकड़ी थी और आपत्ति दर्ज होने पर साक्ष्य समेत प्रकरण दोबारा ऑडिट कराने के लिए भेजा गया था। वर्ष 2012-13 में दो मामलों पर आपत्ति लगाई गई। इसके अलावा वर्ष 2013-14 में 188 मामले वित्तीय अनियमितता के मिले। इसमें 52 मामले संतोषजनक पाए गए तो 66 एमडीएम से संबंधित होने की वजह से कार्रवाई के लिए लंबित हैं। वर्ष 2014-15 तक कुल 55 मामलों में 44 निस्तारित हो गए जबकि 11 कार्रवाई के लिए लंबित हैं। इसी वर्ष 2015-16 में 49 मामलों में 32 का निस्तारित किया गया तो 17 मामले सेवानिवृत्त कर्मियों से संबंधित होने की वजह से लंबित रह गए।
इसके अलावा वर्ष 2016-17 में 46 मामले में 40 निस्तारित कर दिए, जबकि चार मामले से जुड़े संबंधित सचिवों की मृत्यु हो गई। वर्ष 2017 से 2019 तक कुल 105 मामले वित्तीय अनियमितता के पकड़े गए। इनमें शामिल सचिवों को अधिभार नोटिस जारी किया गया, लेकिन कार्रवाई अब तक नहीं हो सकी है।
