इंसानियत से अच्छे और बुरे का चुनाव हो, धर्म से नहीं!

Lucknow
लखनऊ। नागरिकता संसोधन कानून के प्रति असहमति रखने वालों द्वारा पिछले दिनों जो राजधानी लखनऊ में किया गया उसकी जितनी भी निंदा की जाए कम है। पर पूरे समुदाय विशेष को इस मामले में घसीटना ठीक नहीं होगा। गंगा जमुनी जिस तहजीब का देश पोषक रहा है उसे सदैव सहेजकर रखना हमारी जिम्मेदारी है। यह तस्वीर बुधवार रात की है। कैंट रोड पर एक व्यक्ति जमीन पर पड़ा था। सड़क से तमाम लोग गुजर रहे थे। कुछ लोग उसे घेरकर खड़े थे। मैं भी उधर से निकला तो लोगों की भीड़ देख मैंने भी गाड़ी साइड की और देखने पहुंचा। मौके पर एक महिला भीड़ के सामने चिल्ला रही थी कि कोई मदद करो। महिला की आवाज सुनकर एक व्यक्ति जमीन पर पड़े उस आदमी को उठाने की कोशिश करने लगा। वह आदमी सड़क हादसे में घायल हुआ था।

यह नजारा देख मैं भी मदद के लिए आगे बढ़ा तभी साइकिल से उतरकर एक युवा दौड़ा और घायल व्यक्ति को उठाने में मदद करने लगा। हमने मिलकर घायल व्यक्ति को सड़क के किनारे लिटाया और एंबुलेंस और पुलिस को फोन घुमाया। अभी हम पुलिस, एंबुलेंस व लिफ्ट के लिए कोशिश कर ही रहे थे। काफी कोशिश के बाद एक आॅटो रुका और हमने घायल को उसमें शिफ्ट किया। अब मसला था उसके साथ सहारे के लिए कौन बैठेगा, क्योंकि सबके पास वाहन थे और वहां वाहन खड़ा करने का कोई सुरक्षित जगह नहीं थी।

समस्या के समाधान के लिए अभी हम लोग विचार कर ही रहे थे तभी उस युवक ने अपनी साइकिल मैलेट्री कैंप में खड़ी कर दी और कहा कि मैं इनको लेकर हॉस्पिटल जाउंगा। साइकिल कैंप में खड़ी करके घायल व्यक्ति की मदद करने वाले का नाम वजाहत अली था, जिसने एक बार नहीं पूछा कि जिसकी वह मदद करने जा रहा है वह किस धर्म का है। हमने उसे सिविल अस्पताल में भर्ती कराया। घायल व्यक्ति एक सीमेंट फैक्ट्री में मैनेजर है धर्म से वह हिंदू है। इस घटना को शेयर करने का उद्देश्य सिर्फ इतना है कि हम इंसान की कद्र धर्म से नहीं इंसानियत से करें। मैं ऐसे वजाहत अली का सम्मान करता हूं। आप जैसे लोग धर्म से बढ़कर इंसानियत को सबसे बड़ा धर्म मानते हैं।