कृष्णा देवी गर्ल्स डिग्री कॉलेज, रामनगर आलमबाग, लखनऊ के रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेल तथा सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ सोसाइटी एंड पॉलिटिक्स (CSSP), कानपुर के संयुक्त तत्वावधान में “अनुसंधान पद्धति (Research Methodology)” विषय पर दो दिवसीय ऑनलाइन कार्यशाला का सफल आयोजन किया गया। यह कार्यशाला महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो. सारिका दुबे के कुशल निर्देशन एवं प्रेरणादायक मार्गदर्शन में दिनांक 13 एवं 14 अक्टूबर 2025 को संपन्न हुई।
प्राचार्या ने अपने उद्बोधन में बताया कि कार्यशाला का उद्देश्य विद्यार्थियों एवं शोधार्थियों को अनुसंधान की प्रक्रिया, विधियों, तकनीकों तथा उनके वैज्ञानिक एवं व्यावहारिक अनुप्रयोगों से परिचित कराना तथा शोध कार्य को वैज्ञानिक, व्यवस्थित, प्रमाणिक और सार्थक बनाना है ताकि उससे प्राप्त निष्कर्ष समाज, शिक्षा और नीति निर्माण के क्षेत्र में उपयोगी सिद्ध हो सकें। इस कार्यशाला के मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. ए. के. वर्मा, निदेशक, CSSP, कानपुर, प्रो. जय शंकर प्रसाद पांडे, समाजशास्त्र विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ,डॉ. अर्चना सिंह, एसोसिएट प्रोफेसर, जी. बी. पंत सोशल साइंस इंस्टीट्यूट, प्रयागराज,डॉ. धर्मेंद्र प्रताप श्रीवास्तव, असिस्टेंट डायरेक्टर, CSSP, कानपुर उपस्थित रहे ।
डॉ. ए. के. वर्मा ने “राइटिंग रिसर्च पेपर” विषय पर अत्यंत सारगर्भित व्याख्यान देकर शोध लेखन के वैज्ञानिक एवं नैतिक पहलुओं पर प्रकाश डाला। प्रो. जय शंकर प्रसाद पांडे, द्वारा “रिसर्च मेथडोलॉजी एंड रिसर्च डिजाइन” पर विचार व्यक्त करते हुए अनुसंधान की तार्किक संरचना और डिजाइन की गहराई को सरल रूप में समझाया। डॉ. अर्चना सिंह ने “क्वालिटेटिव एंड क्वानटेटिव डाटा एनालिसिस” विषय को अत्यंत सहज और प्रायोगिक दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया तथा डॉ. धर्मेंद्र प्रताप श्रीवास्तव द्वारा “क्वालिटेटिव एंड क्वानटेटिव रिसर्च” पर अपने गहन विचार साझा करते हुए अनुसंधान की वैधता, विश्वसनीयता और नैतिकता पर अत्यंत उपयोगी सुझाव दिए।
कार्यशाला में देश के विभिन्न राज्यों — उड़ीसा, दिल्ली, छत्तीसगढ़, बिहार, राजस्थान, असम एवं गुजरात सहित अन्य प्रदेशों से लगभग 122 प्रतिभागियों ने सक्रिय रूप से सहभागिता की। प्रतिभागियों ने व्याख्यानों को अत्यंत ज्ञानवर्धक, प्रेरणादायक एवं अनुसंधान की दिशा में उपयोगी बताया। कार्यक्रम का संचालन रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेल की संयोजिका डॉ. निशी यादव एवं सदस्यगण डॉ. दीपशिखा पाल, डॉ. पूजा दुबे तथा डॉ. हिजाब खातून द्वारा किया गया।